चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव का बिगुल फरवरी के आखिर या मार्च के दूसरे सप्ताह तक बज सकता है, लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने उससे पहले ही अपने वोट बैंक को साधने के लिए चाल चलना शुरू कर दिया है. जिसमें खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों पर इस बार राजनीतिक दलों का फोकस है. एक तरफ हरियाणा कांग्रेस घर-घर कांग्रेस अभियान के जरिए प्रदेश के हर घर तक पहुंचने में जुटी है. वहीं, भाजपा भी गांव चलो अभियान के जरिए ग्रामीण मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए मैदान में उतर रही है. यानी प्रदेश के दोनों मुख्य राजनीतिक दलों की ग्रामीण वोट बैंक को साधने पर नजर है.
कांग्रेस का घर घर कांग्रेस अभियान जारी: लोकसभा चुनावों में अपनी जीत को पक्की करने के लिए हरियाणा कांग्रेस प्रदेश के हर तह पहुंचाने में जुटी हुई है. इसके लिए पार्टी ने 15 जनवरी से हरियाणा में घर-घर कांग्रेस, हर घर कांग्रेस अभियान शुरू किया है. कांग्रेस इस कार्यक्रम के जरिए प्रदेश के घर-घर तक पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को पहुंचाने की कोशिश में है. पार्टी की कोशिश है कि वह प्रदेश के हर बूथ तक इस कार्यक्रम के जरिए दस्तक दे. इसके लिए सोशल मीडिया का भी पार्टी इस्तेमाल कर रही है. पार्टी अपनी इस मुहिम के जरिए खान वर्तमान सरकार की जन विरोधी नीतियों और नाकामियों को जनता तक पहुंचाने में जुटी है वही पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार और वर्तमान सरकार का भी जनता के बीच जाकर तुलना कर रही है.
बीजेपी चलाएगी गांव चलो अभियान: कांग्रेस पार्टी के इस अभियान के मुकाबले अब बीजेपी भी अपने भारत संकल्प यात्रा के बाद प्रदेश के गांव तक पहुंचने के लिए गांव चलो अभियान शुरू कर रही है. बीजेपी देश के ग्रामीण इलाकों में संपर्क साधने के लिए 4 से 11 फरवरी तक यह अभियान चलाने जा रही है. अभियान के जरिए बीजेपी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मोदी सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाने का काम करेगी. पार्टी का उद्देश्य इस मेगा अभियान के जरिए सरकार के काम को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है. साथ ही दूसरी ओर जनता की बात को पार्टी और सरकार तक पहुंचाना भी है.
गांवों में बसता है हरियाणा: बता दें कि हरियाणा ग्रामीण परिवेश में बसता है. क्योंकि प्रदेश की 65 फीसदी से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में आती है, जिसकी वजह से राजनीतिक दल इसको दरकिनार नहीं कर सकते. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों का फोकस भी ग्रामीण क्षेत्रों पर अधिक है. हालांकि लोकसभा सीटों के हिसाब से वर्तमान में सभी दस सीटें बीजेपी के पास है. लेकिन, कांग्रेस इस बार बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. वहीं, बीजेपी भी फिर से सभी 10 सीटों को जीतकर अपने रिकॉर्ड बरकरार रखने के लिए पसीना बहाने को तैयार है. वहीं, विधानसभा चुनाव 2019 की बात करें तो कांग्रेस को 2014 के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में करीब दो दर्जन से सीटें अधिक मिली थी जबकि बीजेपी को ग्रामीण सीटों पर नुकसान मिला था. इसी के चलते इस बार बीजेपी का खास फोकस ग्रामीण सीटों पर है.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?: राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि हरियाणा में ग्रामीण क्षेत्र का ज्यादा असर है. वे कहते हैं कि जीटी रोड बेल्ट की बात की जाए तो इसका ज्यादातर ऐसा शहरी क्षेत्र में है, जिसमें बीजेपी का ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस और हरियाणा के क्षेत्रीय दलों का भी अच्छा खासा प्रभाव है. ऐसे में कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों दल जानते हैं कि उनको अगर लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करनी है तो फिर उन्हें ग्रामीण क्षेत्र पर ज्यादा फोकस करना होगा. इसी वजह से प्रदेश सरकार लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में अपने अभियान चला रही है, और आने वाले दिनों में वह इसे और तेज करेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस भी इसी नजरिए से ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस कर रही है.
हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्र अहम: इसी मामले में राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि अगर 2014 के विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें तो बीजेपी को ग्रामीण क्षेत्र में अच्छा खासा फायदा हुआ था. जिस वजह से वह सत्ता में आई थी. 2019 के चुनाव में बीजेपी को ग्रामीण क्षेत्रों में नुकसान हुआ था, जबकि कांग्रेस और जेजेपी ने ग्रामीण क्षेत्र की ज्यादातर सीटों पर जीत दर्ज की थी. वे कहते हैं कि हरियाणा का ज्यादातर क्षेत्र ग्रामीण हैं. इसलिए ग्रामीण क्षेत्र की कोई भी पार्टी अनदेखी नहीं कर सकती. अगर किसी भी दल को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करनी है तो ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र को साधना सबके लिए जरूरी हो जाता है. इसी को देखते हुए तमाम राजनीतिक दल ग्रामीण क्षेत्र पर फोकस कर रहे हैं. वहीं, सभी दल ग्रामीण क्षेत्र के असर को जानते है. इसलिए चुनाव नजदीक आने के साथ सभी का फोकस ग्रामीण मतदाताओं पर है.
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