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ज्ञानवापी ASI सर्वे रिपोर्टः 50 से अधिक पन्नों में सिर्फ पश्चिमी दीवार का जिक्र, जानिए क्या मिले हैं तथ्य?

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 3, 2024, 1:03 PM IST

Updated : Feb 3, 2024, 1:28 PM IST

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी एएसआई सर्वे रिपोर्ट में 839 पन्नों की रिपोर्ट में 50 से ज्यादा पन्नों में सिर्फ पश्चिमी दीवार का जिक्र है. आइए स्पेशल रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर इस मंदिर पर क्या है?

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वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यासजी तहखाने में पूजा शुरू हो गई है. शुक्रवार को पूजा पाठ के आदेश के बाद पहले जुमे की नमाज अदा हुई, जिसको लेकर भारी सुरक्षा व्यवस्था पूरे शहर में देखने को मिली और यूपी में भी अलर्ट था. इन सबके बीच पुलिस अभी भी मुस्तैद है. मुस्तैदी इसलिए भी क्योंकि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में भी ज्ञानवापी को लेकर कई ऐसे राज खोले गए हैं, जो इस पूरे परिसर के पुरातन मंदिर होने के पुख्ता सबूत हैं. एएसआई की रिपोर्ट में ज्ञानवापी परिसर की पश्चिमी दीवार पर मिली डिजाइन, बनावट, अवशेष में लिखावट से लेकर बनाए गए स्ट्रक्चर और उसकी स्ट्रैंथ अपने आप में पुरातन मंदिर के होने के पुख्ता सबूत हैं. रिपोर्ट में सबसे अधिक पश्चिम दीवार का जिक्र है, जबकि कई टूटे हुए अवशेष और अन्य चीज इसी दीवार के बाहरी हिस्से से बरामद हुई है.

आकृतियों को क्षतिग्रस्त करके उन्हें मिटाने की भी कोशिश की गई है.
आकृतियों को क्षतिग्रस्त करके उन्हें मिटाने की भी कोशिश की गई है.

पश्चिमी दीवार क्षेत्र में तीन मंच मिले: अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पश्चिमी दीवार का सर्वे उत्तरी-पश्चिमी और दक्षिणी-पश्चिमी दो हिस्सों में बताकर किया है. सर्वे में पश्चिमी दीवार क्षेत्र में तीन मंच मिले हैं. उनमें एक दीवार दबी हुई है. पश्चिमी कक्षा पश्चिमी दीवार का मध्य भाग है, जबकि केंद्रीय कक्ष का मुख्य प्रवेश द्वार भी यही है. वस्तु सिर्फ विशेषताओं से यह स्पष्ट होता है कि यह संरचना प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित है. जबकि इस निर्माण के वक्त बंद कर दिया गया था. रिपोर्ट में इस एंट्री गेट के आसपास की दीवारों पर हिंदू मंदिर के काफी सबूत मिले हैं. जिसमें कमल के साथ अन्य तरह के फूल और प्राकृतिक संरचना के आधार पर घंटा, चैन, त्रिशूल, स्वास्तिक अन्य तरह की चीज भी स्पष्ट तौर पर इस पूरे स्ट्रक्चर पर मौजूद हैं.

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सूंड वाले दो हाथियों के सिर की रूपरेखा मिली.
चौखट पर मुर्गी और शेर की आकृतियांः सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक दीवार पर विभिन्न स्थानों पर कुछ जानवरों की चित्र भी बनाए गए हैं. उभरी हुई सूंड वाले दो हाथियों के सिर की रूपरेखा और उनका डिजाइन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. नीचे दो पक्षियों के निशान में से एक मोड़ है. सजावटी रस्सी की आकृति पक्षी जैसी अंकित की गई है. फूलों की सजावट आकृति के रूप में बनाई गई है. घुटनों पर बैठे हाथियों को छोटी-छोटी आकृतियों में दर्शाया गया है. जिनमें दोनों छोर पर सूंड ऊपर करके हाथी यहां बैठे हैं. कई स्थानों पर आकृतियों को क्षतिग्रस्त करके उन्हें मिटाने की भी कोशिश की गई है, जो स्पष्ट रूप से इस रिपोर्ट में कहा गया है. प्रवेश द्वार की चौखट पर मुर्गी और शेर समेत अन्य तरह की आकृतियों को भी उकेरा गया है. संरक्षित न होने की वजह से यह आकृतियां टूट कर नीचे गिर रही हैं और इन्हें सुरक्षित करने की भी जरूरत एएसआई ने बताई है.
पश्चिमी दीवार क्षेत्र में तीन मंच मिले.
पश्चिमी दीवार क्षेत्र में तीन मंच मिले.

फूलों की आकृतियां भी मिलींः एएसआई रिपोर्ट में एक बैठे हुए जानवर जिसमें शेर की आकृति दिखाई दे रही है. वह भी स्पष्ट तौर पर इस दीवार के नीचे के हिस्से में मौजूद है. धनुष आकर के प्रवेश द्वार पर आसपास के कई चित्र दिखाई दे रहे हैं. छत में फूल कली, उभरी हुई आकृतियां, कमल की पंखुड़ी, गुंबदगार छत को साफ कर रही है. विष्णु शंकर जैन का कहना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में इस दीवार का सबसे ज्यादा जिक्र किया गया है. यह भी स्पष्ट किया गया है कि यहां पर मौजूद आकृतियां खंभे पर बनाई गई. डिजाइन यह स्पष्ट करती है कि यह एक पुरातन मंदिर का अवशेष है. जिस पर पूरी की पूरी मस्जिद को खड़ा किया गया है.

खंबों पर बनीं हैं आकृतियां.
खंबों पर बनीं हैं आकृतियां.



विष्णु शंकर जैन का कहना है कि यह बातें पिछले 2022 में हुए कमीशन की कार्रवाई के दौरान भी स्पष्ट हो चुकी है कि पश्चिमी दीवार पूरी की पुरी मंदिर का स्ट्रक्चर दिखाई देती है. इसे नंगी आंखों से देखकर कोई भी कह सकता है की मस्जिद के पिछले हिस्से की इस दीवार पर मंदिर के तमाम सबूत मौजूद हैं. जिस तरह से पुरातन समय में मंदिरों का निर्माण लाल पत्थर और अन्य तरह के पदार्थ से होता था. उसी स्ट्रक्चर से और इस पदार्थ से पश्चिमी दीवार के हिस्से का भी निर्माण किया गया है.

इसे भी पढ़ें-ज्ञानवापी प्रकरणः BHU पुरातात्व विभाग का दावा, छठवीं शताब्दी के हैं ASI सर्वे में मिले विग्रह और मंदिर के प्रमाण


वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यासजी तहखाने में पूजा शुरू हो गई है. शुक्रवार को पूजा पाठ के आदेश के बाद पहले जुमे की नमाज अदा हुई, जिसको लेकर भारी सुरक्षा व्यवस्था पूरे शहर में देखने को मिली और यूपी में भी अलर्ट था. इन सबके बीच पुलिस अभी भी मुस्तैद है. मुस्तैदी इसलिए भी क्योंकि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में भी ज्ञानवापी को लेकर कई ऐसे राज खोले गए हैं, जो इस पूरे परिसर के पुरातन मंदिर होने के पुख्ता सबूत हैं. एएसआई की रिपोर्ट में ज्ञानवापी परिसर की पश्चिमी दीवार पर मिली डिजाइन, बनावट, अवशेष में लिखावट से लेकर बनाए गए स्ट्रक्चर और उसकी स्ट्रैंथ अपने आप में पुरातन मंदिर के होने के पुख्ता सबूत हैं. रिपोर्ट में सबसे अधिक पश्चिम दीवार का जिक्र है, जबकि कई टूटे हुए अवशेष और अन्य चीज इसी दीवार के बाहरी हिस्से से बरामद हुई है.

आकृतियों को क्षतिग्रस्त करके उन्हें मिटाने की भी कोशिश की गई है.
आकृतियों को क्षतिग्रस्त करके उन्हें मिटाने की भी कोशिश की गई है.

पश्चिमी दीवार क्षेत्र में तीन मंच मिले: अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पश्चिमी दीवार का सर्वे उत्तरी-पश्चिमी और दक्षिणी-पश्चिमी दो हिस्सों में बताकर किया है. सर्वे में पश्चिमी दीवार क्षेत्र में तीन मंच मिले हैं. उनमें एक दीवार दबी हुई है. पश्चिमी कक्षा पश्चिमी दीवार का मध्य भाग है, जबकि केंद्रीय कक्ष का मुख्य प्रवेश द्वार भी यही है. वस्तु सिर्फ विशेषताओं से यह स्पष्ट होता है कि यह संरचना प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित है. जबकि इस निर्माण के वक्त बंद कर दिया गया था. रिपोर्ट में इस एंट्री गेट के आसपास की दीवारों पर हिंदू मंदिर के काफी सबूत मिले हैं. जिसमें कमल के साथ अन्य तरह के फूल और प्राकृतिक संरचना के आधार पर घंटा, चैन, त्रिशूल, स्वास्तिक अन्य तरह की चीज भी स्पष्ट तौर पर इस पूरे स्ट्रक्चर पर मौजूद हैं.

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सूंड वाले दो हाथियों के सिर की रूपरेखा मिली.
चौखट पर मुर्गी और शेर की आकृतियांः सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक दीवार पर विभिन्न स्थानों पर कुछ जानवरों की चित्र भी बनाए गए हैं. उभरी हुई सूंड वाले दो हाथियों के सिर की रूपरेखा और उनका डिजाइन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. नीचे दो पक्षियों के निशान में से एक मोड़ है. सजावटी रस्सी की आकृति पक्षी जैसी अंकित की गई है. फूलों की सजावट आकृति के रूप में बनाई गई है. घुटनों पर बैठे हाथियों को छोटी-छोटी आकृतियों में दर्शाया गया है. जिनमें दोनों छोर पर सूंड ऊपर करके हाथी यहां बैठे हैं. कई स्थानों पर आकृतियों को क्षतिग्रस्त करके उन्हें मिटाने की भी कोशिश की गई है, जो स्पष्ट रूप से इस रिपोर्ट में कहा गया है. प्रवेश द्वार की चौखट पर मुर्गी और शेर समेत अन्य तरह की आकृतियों को भी उकेरा गया है. संरक्षित न होने की वजह से यह आकृतियां टूट कर नीचे गिर रही हैं और इन्हें सुरक्षित करने की भी जरूरत एएसआई ने बताई है.
पश्चिमी दीवार क्षेत्र में तीन मंच मिले.
पश्चिमी दीवार क्षेत्र में तीन मंच मिले.

फूलों की आकृतियां भी मिलींः एएसआई रिपोर्ट में एक बैठे हुए जानवर जिसमें शेर की आकृति दिखाई दे रही है. वह भी स्पष्ट तौर पर इस दीवार के नीचे के हिस्से में मौजूद है. धनुष आकर के प्रवेश द्वार पर आसपास के कई चित्र दिखाई दे रहे हैं. छत में फूल कली, उभरी हुई आकृतियां, कमल की पंखुड़ी, गुंबदगार छत को साफ कर रही है. विष्णु शंकर जैन का कहना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में इस दीवार का सबसे ज्यादा जिक्र किया गया है. यह भी स्पष्ट किया गया है कि यहां पर मौजूद आकृतियां खंभे पर बनाई गई. डिजाइन यह स्पष्ट करती है कि यह एक पुरातन मंदिर का अवशेष है. जिस पर पूरी की पूरी मस्जिद को खड़ा किया गया है.

खंबों पर बनीं हैं आकृतियां.
खंबों पर बनीं हैं आकृतियां.



विष्णु शंकर जैन का कहना है कि यह बातें पिछले 2022 में हुए कमीशन की कार्रवाई के दौरान भी स्पष्ट हो चुकी है कि पश्चिमी दीवार पूरी की पुरी मंदिर का स्ट्रक्चर दिखाई देती है. इसे नंगी आंखों से देखकर कोई भी कह सकता है की मस्जिद के पिछले हिस्से की इस दीवार पर मंदिर के तमाम सबूत मौजूद हैं. जिस तरह से पुरातन समय में मंदिरों का निर्माण लाल पत्थर और अन्य तरह के पदार्थ से होता था. उसी स्ट्रक्चर से और इस पदार्थ से पश्चिमी दीवार के हिस्से का भी निर्माण किया गया है.

इसे भी पढ़ें-ज्ञानवापी प्रकरणः BHU पुरातात्व विभाग का दावा, छठवीं शताब्दी के हैं ASI सर्वे में मिले विग्रह और मंदिर के प्रमाण


Last Updated : Feb 3, 2024, 1:28 PM IST
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