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देसी स्टाइल से बने इस गुड़ में हैं कई गुण, सोंधी खुशबू से गुलजार हो जाता है कोल्हान, बंगाल के किसान होते हैं मालामाल

पूर्वी सिंहभूम के पटमदा में गुड़ की सोंधी खुशबू लोगों के मुंह में मिठास घोल रही है. यहां खास तरह का गुड़ बनता है.

Palm Jaggery In Jamshedpur
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्र पटमदा में इन दिनों खजूर का गुड़ बनाने का काम तेजी से चल रहा है. पश्चिम बंगाल के किसान और कारीगर पटमदा में गुड़ बनाने का काम कर रहे हैं. जमशेदपुर शहर से 30 किलोमीटर दूर पटमदा में बनने वाला गुड़ शहर के अलावा पूरे कोल्हान में चर्चित है. देसी जुगाड़ से यह खास गुड़ तैयार किया जाता है. किसी तरह के केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता है. मकर संक्रांति के समय खजूर गुड़ का लोगों को इंतजार रहता है. खजूर गुड़ की मिठास कुछ अलग होती है.

दरअसल, मकर संक्रांति से चार माह पूर्व पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा और अन्य जिलों के किसान पूर्वी सिंहभूम के पटमदा गांव आते हैं. लगभग 100 की संख्या में किसान हर साल यहां आते हैं और 9-10 के समूह में बंटकर पटमदा में अलग-अलग स्थानों में अस्थायी डेरा डालते हैं. पश्चिम बंगाल के किसान पटमदा के ग्रामीणों से उनके खजूर के पेड़ को चार माह के लिए किराए पर लेते हैं और उसकी देखभाल करते हैं. फिर समय आने पर खजूर के पेड़ के ऊपरी हिस्से को छील कर वहां प्लास्टिक के छोटे-छोटे घड़े बांध देते हैं.

खजूर गुड़ पर रिपोर्ट और जानकारी देते किसान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

रातभर खजूर पेड़ का रस प्लास्टिक के घड़े में गिरता है और अहले सुबह सूरज उगने से पूर्व किसान पेड़ पर चढ़ कर रस से भरे घड़ों को पेड़ से उतारते हैं. इसके बाद गांव में ही किसान जमीन खोद कर लगभग सात फीट का चूल्हा बनाते हैं. जिसके एक छोर पर धुआं निकलने के लिए मिट्टी की चिमनी बनाते हैं. इस चूल्हे में जलावन के रूप में सूखी लकड़ी और सूखे पत्ते का इस्तेमाल करते हैं. चूल्हे में आंच तेज होने के बाद बड़े ट्रे नुमा कढ़ाई को चूल्हे पर चढ़ाते हैं और उसमें खजूर के रस को डाल कर पकाते हैं.

Benefits Of Palm Jaggery
गु़ड़ बनाते किसान (फोटो-ईटीवी भारत)

इस दौरान लकड़ी के बने बड़ी कलची से रस को लगातार चलाया जाता है. रस के पकने के बाद उस ट्रे नुमा कढ़ाई को जमीन पर रखते हैं और लकड़ी की कलची से रस को गाढ़ा होने तक चलाया जाता है. इसके बाद किसान जमीन में छोटे-छोटे गड्ढे खोद कर गोल-गोल सांचा बनाते हैं. सांचे पर सूखे कपड़े का बिछाया जाता है. इसके बाद गहरे सांचे में पके हुए गाढ़े गुड़ के रस को डाला जाता है. करीब आधे घंटे बाद सांचे में रस सूख जाता है और किसान आसानी से उसे बाहर निकाल लेते हैं. इसके बाद गुड़ बनकर तैयार हो जाता है.

Benefits Of Palm Jaggery
किसानों द्वारा तैयार गुड़ (फोटो-ईटीवी भारत)

बता दें कि खजूर के गुड़ को पटाली गुड़ भी कहा जाता है. एक गुड़ का वजन पांच से छह सौ ग्राम का होता है. उस गुड़ को कागज में पैक किया जाता है. इसके बाद मांग के अनुरूप शहर के दुकानदारों को सप्लाई कर दी जाती है. साथ ही कई लोग पटमदा पहुंचकर गुड़ खरीदकर ले जाते हैं.

आपको बता दें कि ठंड के मौसम में ही खजूर गुड़ बनाया जाता है. खजूर गुड़ की मिठास और स्वाद अलग होता है. खजूर गुड़ के सेवन के कई फायदे हैं. डॉक्टर का कहना है कि खजूर गुड़ शरीर के लिए लाभकारी है. इसके सेवन से एनीमिया के मरीजों को काफी लाभ मिलता है. साथ ही खजूर गुड़ के सेवन से पाचन क्रिया और शरीर की कोशिकाओं को लाभ मिलता है. डॉक्टर बताते हैं कि खजूर के गुड़ में ग्लूकोज नहीं, फ़्रूटॉस होता है. इसलिए शुगर के मरीज भी सीमित मात्रा में इसका सेवन कर सकते हैं. छोटे बच्चों के लिए इसका सेवन लाभदायक बताया गया है.

पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से आए गुड़ बनाने वाले किसानों का कहना है चार महीने के लिए हम झारखंड आते हैं और जहां खजूर के पेड़ होते हैं वहां हम खजूर गुड़ बनाकर बेचते हैं. चार माह के बाद फिर वापस चले जाते हैं और खेती के कार्य में जुट जाते हैं. किसानों ने बताया कि यहां गुड़ बनाने से कमाई अच्छी होती है. प्रतिदिन 70 से 80 किलो गुड़ बनाते हैं. किसान बताते हैं कि पटमदा की जलवायु खजूर पैदावार के लिए उपयुक्त है. इसलिए यहां ज्यादा संख्या में खजूर के पेड़ हैं. किसानों ने बताया कि खजूर के गुड़ में कई गुण पाए जाते हैं.

किसान खजूर का गुड़ तैयार कर 120 रुपये किलो बेचते हैं. मकर संक्रांति में खजूर गुड़ की मांग बढ़ जाती है. इस गुड़ से खीर के अलावा कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. शहर के लोग और दुकानदार भी इस सीजन का इंतजार करते हैं और पटमदा इलाके में आकर गुड़ खरीदकर ले जाते हैं. वहीं गुड़ खरीदने वाले ग्राहक बताते हैं कि बिना मिलावट के यहां गुड़ मिलता है, जो सेहत के लिए अच्छा है. गुड़ का इस्तेमाल पूरा परिवार करता है.

बहरहाल, साल के अंतिम चार महीने में पश्चिम बंगाल से आए किसानों की मेहनत से बने खजूर गुड़ की मिठास से त्योहारों में पकवान का स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही किसानों को एक बेहतर रोजगार का अवसर भी मिलता है.

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जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्र पटमदा में इन दिनों खजूर का गुड़ बनाने का काम तेजी से चल रहा है. पश्चिम बंगाल के किसान और कारीगर पटमदा में गुड़ बनाने का काम कर रहे हैं. जमशेदपुर शहर से 30 किलोमीटर दूर पटमदा में बनने वाला गुड़ शहर के अलावा पूरे कोल्हान में चर्चित है. देसी जुगाड़ से यह खास गुड़ तैयार किया जाता है. किसी तरह के केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता है. मकर संक्रांति के समय खजूर गुड़ का लोगों को इंतजार रहता है. खजूर गुड़ की मिठास कुछ अलग होती है.

दरअसल, मकर संक्रांति से चार माह पूर्व पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा और अन्य जिलों के किसान पूर्वी सिंहभूम के पटमदा गांव आते हैं. लगभग 100 की संख्या में किसान हर साल यहां आते हैं और 9-10 के समूह में बंटकर पटमदा में अलग-अलग स्थानों में अस्थायी डेरा डालते हैं. पश्चिम बंगाल के किसान पटमदा के ग्रामीणों से उनके खजूर के पेड़ को चार माह के लिए किराए पर लेते हैं और उसकी देखभाल करते हैं. फिर समय आने पर खजूर के पेड़ के ऊपरी हिस्से को छील कर वहां प्लास्टिक के छोटे-छोटे घड़े बांध देते हैं.

खजूर गुड़ पर रिपोर्ट और जानकारी देते किसान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

रातभर खजूर पेड़ का रस प्लास्टिक के घड़े में गिरता है और अहले सुबह सूरज उगने से पूर्व किसान पेड़ पर चढ़ कर रस से भरे घड़ों को पेड़ से उतारते हैं. इसके बाद गांव में ही किसान जमीन खोद कर लगभग सात फीट का चूल्हा बनाते हैं. जिसके एक छोर पर धुआं निकलने के लिए मिट्टी की चिमनी बनाते हैं. इस चूल्हे में जलावन के रूप में सूखी लकड़ी और सूखे पत्ते का इस्तेमाल करते हैं. चूल्हे में आंच तेज होने के बाद बड़े ट्रे नुमा कढ़ाई को चूल्हे पर चढ़ाते हैं और उसमें खजूर के रस को डाल कर पकाते हैं.

Benefits Of Palm Jaggery
गु़ड़ बनाते किसान (फोटो-ईटीवी भारत)

इस दौरान लकड़ी के बने बड़ी कलची से रस को लगातार चलाया जाता है. रस के पकने के बाद उस ट्रे नुमा कढ़ाई को जमीन पर रखते हैं और लकड़ी की कलची से रस को गाढ़ा होने तक चलाया जाता है. इसके बाद किसान जमीन में छोटे-छोटे गड्ढे खोद कर गोल-गोल सांचा बनाते हैं. सांचे पर सूखे कपड़े का बिछाया जाता है. इसके बाद गहरे सांचे में पके हुए गाढ़े गुड़ के रस को डाला जाता है. करीब आधे घंटे बाद सांचे में रस सूख जाता है और किसान आसानी से उसे बाहर निकाल लेते हैं. इसके बाद गुड़ बनकर तैयार हो जाता है.

Benefits Of Palm Jaggery
किसानों द्वारा तैयार गुड़ (फोटो-ईटीवी भारत)

बता दें कि खजूर के गुड़ को पटाली गुड़ भी कहा जाता है. एक गुड़ का वजन पांच से छह सौ ग्राम का होता है. उस गुड़ को कागज में पैक किया जाता है. इसके बाद मांग के अनुरूप शहर के दुकानदारों को सप्लाई कर दी जाती है. साथ ही कई लोग पटमदा पहुंचकर गुड़ खरीदकर ले जाते हैं.

आपको बता दें कि ठंड के मौसम में ही खजूर गुड़ बनाया जाता है. खजूर गुड़ की मिठास और स्वाद अलग होता है. खजूर गुड़ के सेवन के कई फायदे हैं. डॉक्टर का कहना है कि खजूर गुड़ शरीर के लिए लाभकारी है. इसके सेवन से एनीमिया के मरीजों को काफी लाभ मिलता है. साथ ही खजूर गुड़ के सेवन से पाचन क्रिया और शरीर की कोशिकाओं को लाभ मिलता है. डॉक्टर बताते हैं कि खजूर के गुड़ में ग्लूकोज नहीं, फ़्रूटॉस होता है. इसलिए शुगर के मरीज भी सीमित मात्रा में इसका सेवन कर सकते हैं. छोटे बच्चों के लिए इसका सेवन लाभदायक बताया गया है.

पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से आए गुड़ बनाने वाले किसानों का कहना है चार महीने के लिए हम झारखंड आते हैं और जहां खजूर के पेड़ होते हैं वहां हम खजूर गुड़ बनाकर बेचते हैं. चार माह के बाद फिर वापस चले जाते हैं और खेती के कार्य में जुट जाते हैं. किसानों ने बताया कि यहां गुड़ बनाने से कमाई अच्छी होती है. प्रतिदिन 70 से 80 किलो गुड़ बनाते हैं. किसान बताते हैं कि पटमदा की जलवायु खजूर पैदावार के लिए उपयुक्त है. इसलिए यहां ज्यादा संख्या में खजूर के पेड़ हैं. किसानों ने बताया कि खजूर के गुड़ में कई गुण पाए जाते हैं.

किसान खजूर का गुड़ तैयार कर 120 रुपये किलो बेचते हैं. मकर संक्रांति में खजूर गुड़ की मांग बढ़ जाती है. इस गुड़ से खीर के अलावा कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. शहर के लोग और दुकानदार भी इस सीजन का इंतजार करते हैं और पटमदा इलाके में आकर गुड़ खरीदकर ले जाते हैं. वहीं गुड़ खरीदने वाले ग्राहक बताते हैं कि बिना मिलावट के यहां गुड़ मिलता है, जो सेहत के लिए अच्छा है. गुड़ का इस्तेमाल पूरा परिवार करता है.

बहरहाल, साल के अंतिम चार महीने में पश्चिम बंगाल से आए किसानों की मेहनत से बने खजूर गुड़ की मिठास से त्योहारों में पकवान का स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही किसानों को एक बेहतर रोजगार का अवसर भी मिलता है.

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