हैदराबाद: एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी लोकसभा में शपथ लेने के दौरान 'जय फिलिस्तीन' बोलने पर नए विवाद में फंस गए हैं. हालांकि, भाजपा सांसदों के आपत्ति जताने के बाद उनके इन शब्दों को लोकसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया गया है, लेकिन उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. फिलिस्तीन की प्रशंसा करने पर ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति के समक्ष शिकायत दर्ज कराई गई है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 'विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा दिखाने' के लिए ओवैसी को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है.
अधिवक्ता विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति के समक्ष संविधान के अनुच्छेद 103 के तहत शिकायत दर्ज कराई. जिंदल ने एक्स पर एक पोस्ट में इसकी जानकारी दी. जिंदल ने लिखा कि भारत के राष्ट्रपति के समक्ष संविधान के अनुच्छेद 103 के तहत एक शिकायत दर्ज की, जिसमें एक विदेशी राज्य 'फिलिस्तीन' के प्रति अपनी निष्ठा या प्रतिबद्धता दिखाने के लिए अनुच्छेद 102 (4) के तहत सांसद असदुद्दीन ओवैसी को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है.
अधिवक्ता विनीत जिंदल ने भारत के राष्ट्रपति के समक्ष भारत के संविधान के अनुच्छेद 103 के तहत एक शिकायत दर्ज की, जिसमें एक विदेशी राज्य " फिलिस्तीन" के प्रति अपनी निष्ठा या प्रतिबद्धता दिखाने के लिए अनुच्छेद 102 (4) के तहत सांसद असदुद्दीन ओवैसी को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है।… pic.twitter.com/CHSrNqs2Hh
— Adv.Vineet Jindal (@vineetJindal19) June 26, 2024
हैदराबाद से लगातार 5वीं बार सांसद चुने गए ओवैसी ने मंगलवार को लोकसभा में उर्दू में शपथ लेने के बाद जय तेलंगाना, जय भीम और जय फिलिस्तीन (फिलिस्तीन की जय हो) के नारे लगाए, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि उन्हें ओवैसी की फिलिस्तीन को लेकर टिप्पणी के बारे में कुछ सदस्यों से शिकायतें मिली हैं. हमारी फिलिस्तीन या किसी अन्य देश से कोई दुश्मनी नहीं है. मुद्दा यह है कि क्या शपथ लेते समय किसी सदस्य के लिए दूसरे देश की प्रशंसा में नारे लगाना उचित है? हमें नियमों की जांच करनी होगी.
As per extant rules, Asaduddin Owaisi can be disqualified from his Lok Sabha membership, for demonstrating adherence to a foreign State, that is Palestine.
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 25, 2024
Please note: @LokSabhaSectt pic.twitter.com/wh7bYbep8p
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर संविधान के अनुच्छेद 102 का एक अंश और ओवैसी के नारे का वीडियो क्लिप पोस्ट कर कहा कि मौजूदा नियमों के अनुसार असदुद्दीन ओवैसी को एक विदेशी राज्य यानी फिलिस्तीन के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने के लिए उनकी लोकसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है.
ओवैसी ने अपने शब्दों का किया बचाव...
हालांकि, संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने अपने शब्दों का बचाव किया. उन्होंने कहा कि अन्य सदस्य भी अलग-अलग बातें कह रहे हैं... यह कैसे गलत है? मुझे संविधान का प्रावधान बताएं. मैंने वही कहा जो मुझे कहना था. पढ़िए महात्मा गांधी ने फिलिस्तीन के बारे में क्या कहा था. जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने फिलिस्तीन का जिक्र क्यों किया, तो ओवैसी ने कहा कि वे उत्पीड़ित लोग हैं.
अनुच्छेद 102 में क्या हैं प्रावधान
अनुच्छेद 102 में ऐसे प्रावधान हैं, जिसके तहत संसद सदस्य को अयोग्य ठहराया जा सकता है. संविधान के अनुच्छेद 102 में अयोग्यता के बारे में कहा गया है:
1- कोई व्यक्ति संसद के किसी भी सदन का सदस्य चुने जाने और होने के लिए अयोग्य होगा- (क) अगर वह भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद रखता है, संसद के कानून द्वारा घोषित किसी पद के अलावा जो उसकी सदस्यता को अयोग्य नहीं ठहराता है. (ख) अगर वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया है. (ग) अगर वह दिवालिया घोषित है. (घ) अगर वह भारत का नागरिक नहीं है, या उसने स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ले ली है, या किसी दूसरे देश के प्रति निष्ठा या पालन की स्वीकृति के अधीन है. (ङ) अगर वह संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा या उसके अधीन अयोग्य है.
2- यदि कोई व्यक्ति दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित किया जाता है, तो वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य हो जाएगा.
दसवीं अनुसूची (जिसे दलबदल विरोधी अधिनियम के रूप में जाना जाता है) संसद के सदस्यों (एमपी) को एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाने के लिए दंडित करती है. यह निर्वाचित सदस्यों को किसी अन्य राजनीतिक दल में दलबदल के आधार पर अयोग्य ठहराने के प्रावधान निर्धारित करती है.
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