नई दिल्ली : भारत और मालदीव, द्वीपीय देश में भारतीय सैन्य प्लेटफॉर्म का संचालन जारी रखने के लिए एक परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने को लेकर शुक्रवार को अहम वार्ता कर रहे हैं. विषय से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी. भारत-मालदीव के कोर समूह की दूसरी उच्च स्तरीय बैठक दिल्ली में जारी है. इसके दो सप्ताह पहले, माले में हुई पहली बैठक में इस विवादास्पद मुद्दे पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हो सकी थी.
सूत्रों ने बताया कि कोर समूह की बैठक एक परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए जारी है. दिसंबर में, दुबई में सीओपी28 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के बीच हुई एक बैठक के बाद दोनों पक्षों ने कोर समूह गठित करने का निर्णय लिया था. पिछले महीने, मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत को 15 मार्च तक अपने सैन्य कर्मियों को उनके देश से वापस बुलाने कहा था.
अभी भारत के करीब 80 सैन्य कर्मी मालदीव में हैं, जो मुख्य रूप से दो हेलीकाप्टर और एक विमान का संचालन करने के लिए हैं. इनके जरिये सैकड़ों मेडिकल बचाव एवं मानवीय सहायता मिशन को पूरा किया गया है. मुइज्जू के पिछले साल नवंबर में सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया. कार्यभार संभालने के बाद, व्यापक रूप से चीन समर्थक नेता माने जाने वाले मुइज्जू का यह कहना रहा है कि वह भारतीय सैन्य कर्मियों को देश से निष्कासित कर अपने चुनावी वादे को पूरा करेंगे.
मुइज्जू (45) ने पिछले साल सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनावों में भारत समर्थक इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हरा दिया था. मालदीव, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्रों में संपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में (मालदीव की) पूर्ववर्ती सरकार के तहत प्रगति हुई थी. मुइज्जू ने 17 नवंबर को मालदीव के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. इस शीर्ष पद की शपथ लेने के एक दिन बाद, उन्होंने मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने की अपील की थी.
कोर समूह की 14 जनवरी को हुई पहली बैठक के बाद, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष एक परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने पर गौर कर रहे हैं, ताकि मालदीव के लोगों को मानवीय सहायता एवं मेडिकल बचाव सेवाएं मुहैया करने वाले भारतीय विमानन प्लेटफॉर्म का संचालन जारी रखा जा सके.