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Rajasthan farmers face heavy losses as locusts wreak havoc

Swarms of locusts have caused extensive damage to rabi crops in 300 villages in Rajasthan's Jalore district. With the authorities unsuccessful in countering the menace, the farmers are left to fend for themselves.

Locusts wreak havoc in Rajasthan
Locusts wreak havoc in Rajasthan
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Published : Jan 2, 2020, 3:09 PM IST

Updated : Jan 2, 2020, 5:41 PM IST

Jalore (Rajasthan): Farmers in Rajasthan's Jalore district are facing heavy losses, as swarms of locusts have created mayhem by causing widespread damage to the rabi crops.

According to reports, all through the month of December, locust attacks have affected as many as 300 villages in the district.

Locusts wreak havoc in Rajasthan

Initially, swarms of locusts from the Barmer border twice attacked the Nehad region and turned towards Gujarat.

However, the swarms again entered the Sanchor region from the Gujarat border, and have been attacking field after field in the district for the past nine days.

Sanchor and Chitalwana regions have been the worst affected, with 98 and 72 villages being attacked respectively.

Apart from the above two, farmers in Raniwara, Bhinmaal, and Sayla regions have also faced heavy losses.

Read: Gujarat govt claims locust menace in north Gujarat under control

According to reports, the authorities have so far been largely unsuccessful at countering the locust menace, as they are not able to eliminate the large number of insects.

As a result, the farmers have expressed their displeasure.

Amraram, a farmer, said that all of his cumin crops have been destroyed by the locusts, and he is currently in a hapless situation.

At a time when the nation was revelling in New Year celebrations, the hapless farmers were up all night with their families, trying to guard their fields from the locusts.

Farmers have been resorting to various measures to keep off the swarms, including burning tyres, playing drums and clanging metal objects.

Read: WATCH: Locust swarms from Pak destroy crops in 2 Gujarat districts

Jalore (Rajasthan): Farmers in Rajasthan's Jalore district are facing heavy losses, as swarms of locusts have created mayhem by causing widespread damage to the rabi crops.

According to reports, all through the month of December, locust attacks have affected as many as 300 villages in the district.

Locusts wreak havoc in Rajasthan

Initially, swarms of locusts from the Barmer border twice attacked the Nehad region and turned towards Gujarat.

However, the swarms again entered the Sanchor region from the Gujarat border, and have been attacking field after field in the district for the past nine days.

Sanchor and Chitalwana regions have been the worst affected, with 98 and 72 villages being attacked respectively.

Apart from the above two, farmers in Raniwara, Bhinmaal, and Sayla regions have also faced heavy losses.

Read: Gujarat govt claims locust menace in north Gujarat under control

According to reports, the authorities have so far been largely unsuccessful at countering the locust menace, as they are not able to eliminate the large number of insects.

As a result, the farmers have expressed their displeasure.

Amraram, a farmer, said that all of his cumin crops have been destroyed by the locusts, and he is currently in a hapless situation.

At a time when the nation was revelling in New Year celebrations, the hapless farmers were up all night with their families, trying to guard their fields from the locusts.

Farmers have been resorting to various measures to keep off the swarms, including burning tyres, playing drums and clanging metal objects.

Read: WATCH: Locust swarms from Pak destroy crops in 2 Gujarat districts

Intro: जिलेभर में टिड्डियों के हमले से 300 गांव प्रभावित हुए हैं, जिसके चलते लाखों हेक्टर फसलें पूरी तरह तबाह हो गई है। वहीं दूसरी तरफ प्रशासन किसानों की मदद करने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।Body:भीनमाल. दिसंबर माह में जिले में टीडी के हमले ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। अब तक जिले में करीब 300 से अधिक गांवों में लाखों हेक्टर फसल टिड्डी दल चट कर चुका है। दो बार नेहड़ क्षेत्र में बाड़मेर सीमा से टिड्डी दल ने हमला किया उसके बाद गुजरात की तरफ चला गया इसी बीच 24 दिसंबर को टिड्डी ने फिर से गुजरात की सीमा से सांचौर क्षेत्र में प्रवेश किया। इसके बाद यह पिछले 9 दिनों से अलग-अलग समूह में होते हुए जिले के पांच विधानसभा क्षेत्र में करीब 300 से अधिक गांवों को अब तक नुकसान पहुंचा चुका है। सबसे ज्यादा सांचौर व चितलवाना के क्षेत्र में फसलों को नुकसान पहुंचाया है। सांचौर उपखंड क्षेत्र के 98 व चितलवाना उपखंड के 72 गांव चपेट में आये है।
इसके बाद रानीवाड़ा, भीनमाल, सायला क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाया है अभी भी क्षेत्र में टिड्डी का खतरा किसानों के खेतों में मंडरा रहा है।

प्रशासन के बचाव अभियान असफल, किसान हुए बर्बाद :

टिड्डी दल खत्म करने को लेकर प्रशासन ने किसानों से सहयोग लेकर अभियान चलाया। अभियान पूरी तरह असफल रहे है, जानकारी अनुसार टिड्डियों की तादाद ज्यादा होने प्रशासन किसानो की कोई मदद नहीं कर पा रहा है। जिसके चलते किसानों की फसल चौपट हो गई है। जिससे किसान काफी खफ़ा है।

किसान बोले हम मरने को मजबूर हमारा सब कुछ तबाह हो गया :

जहां पूरा देश नए वर्ष के जश्न में डूबा था वही राजस्थान के जालौर जिले के किसान टिड्डी दल के हमले के सदमे से बाहर नहीं आए थे और लगातार उन पर हमले का खतरा भी मंडरा रहा था जहां किसान देर रात तक अपने खेतों में टिड्डियों से बचने के लिए डेरा जमाए बैठे थे, वही देशभर में लोग नए वर्ष का जश्न मना रहे थे जिले भर में किसान करीब 10 दिनों से अपने परिजनों के साथ रात भर अपने खेतों की रक्षा करते हैं प्रशासन टिड्डी दल के हमले से नाकाम साबित हो रहे हैं, जिसके चलते लोग खासा परेशान है। सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने के चलते किसानों की फसलें तबाह हो गई।

टिड्डियों से बचने के लिये किसान अपने स्तर पर कर रहे है जतन :

जिले भर में किसान टिड्डियों के हमले से खफा है वहीं प्रशासन के प्रयास भी पूरी तरह असफल दिखाई दे रहे हैं। जिसके तहत किसान अपने स्तर पर कई जतन करते दिखाई दे रहे हैं। किसान टिड्डियों से बचने के लिए ढोल और थाली बजाकर टिड्डियों को भगाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं खेतों में टायर जलाकर धुआ कर फसलों को बचाया जा रहा है। इसी तरह किसान टिड्डियों से बचने के लिए अपने स्तर पर कई तरह के जतन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि टिड्डियों के भगाने के लिए हमारे घर में जो भी बर्तन होते हैं वह भी टूट गए हैं जितनी मात्रा में बर्तन होते हैं वह टिड्डियों के आने पर सभी परिवार के लोग लेकर बजाना शुरू हो जाते हैं। किसानों का कहना है कि इसके अलावा कर भी क्या सकते हैं अगर इस तरह नहीं किया जाए तो टीडी हमारी फसल चौपट कर देती है। इसके लिए हमारी ओर से इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।Conclusion:बाईट 1 - अमराराम, किसान

बाईट 2 - भीम सिंह, किसान

बाईट 3 - रामाराम, किसान

Last Updated : Jan 2, 2020, 5:41 PM IST
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