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300-year-old village celebrates birthday

Kalka Garhi, a village in South Delhi celebrates its birthday every year on 17th April. The custom started in the year 2000.

300 year old village celebrates birthday
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Published : May 11, 2019, 3:47 PM IST

New Delhi: You must be celebrating your birthday every year. It is an occasion when a person feels special. You must have celebrated the birthdays of your friends and relatives. But have you ever heard of a village's birthday? There is one and the residents of the village consider it an auspicious day.

Kalka Garhi Village celebrates its birthday every year on April 17th. The whole village is decorated and food is prepared for everyone. A havan is also organised for the village.

An old building in the village is decorated on 17th April. A grand program is organised outside this old building.
This custom dates back to the year 1742. The village was established by Chaudhary Gulab Singh Gujjar. Earlier Chaudhary used to reside in a village near Sarojini Nagar. After that, he came to live in Kalka Garhi with his family and established the village.


Dharamveer Singh, a former councillor, spoke to ETV Bharat team about the celebrations. He told the team that on every 17th April all the villagers assemble and celebrates the occasion together.


He also said that the village is around 300 years old and the building is in a very bad state. The roof is weak where trees have outgrown.
He has complained about the condition of the old building to the Delhi Government many times in the past. He also requested the archaeological department to take action and repair the building but has received no help.


The celebration of the village's birthday started as a custom in the year 2000. Since then every 17 April is celebrated as village's birthday.

Read: Gambhir wants best candidate wins LS Poll in Delhi

New Delhi: You must be celebrating your birthday every year. It is an occasion when a person feels special. You must have celebrated the birthdays of your friends and relatives. But have you ever heard of a village's birthday? There is one and the residents of the village consider it an auspicious day.

Kalka Garhi Village celebrates its birthday every year on April 17th. The whole village is decorated and food is prepared for everyone. A havan is also organised for the village.

An old building in the village is decorated on 17th April. A grand program is organised outside this old building.
This custom dates back to the year 1742. The village was established by Chaudhary Gulab Singh Gujjar. Earlier Chaudhary used to reside in a village near Sarojini Nagar. After that, he came to live in Kalka Garhi with his family and established the village.


Dharamveer Singh, a former councillor, spoke to ETV Bharat team about the celebrations. He told the team that on every 17th April all the villagers assemble and celebrates the occasion together.


He also said that the village is around 300 years old and the building is in a very bad state. The roof is weak where trees have outgrown.
He has complained about the condition of the old building to the Delhi Government many times in the past. He also requested the archaeological department to take action and repair the building but has received no help.


The celebration of the village's birthday started as a custom in the year 2000. Since then every 17 April is celebrated as village's birthday.

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Intro:आप हर साल अपना जन्मदिन तो मनाते ही होंगे अपने रिश्तेदारों और अपने दोस्तों का भी जन्मदिन मनाते होंगे लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका हर साल बकायदा एक इंसान की तरह पूरे जश्न और उल्लास के साथ जन्मदिन मनाया जाता है दुनिया में कई नेता और कहीं बड़ी हस्तियों के भी जन्मदिन मनाए जाते हैं लेकिन किसी गांव का जन्मदिन हर साल मनाया जाना यह अपने आप में खास है




Body:जी हां हम बात कर रहे हैं दिल्ली के कालका गढ़ी गांव की कालका गढ़ी गांव का हर साल 17 अप्रैल को पूरे धूमधाम से पूरा गांव जन्मदिन मनाता है इस दिन गांव में जश्न मनाया जाता है बकायदा पूरी तैयारियां की जाती है पूरे गांव को सजाया जाता है पकवान बनाए जाते हैं यहां तक कि हवन भी किया जाता है और हवन के बाद पूरे गांव में प्रसाद का वितरण किया जाता है 17 अप्रैल के दिन गांव की पुरानी इमारत को सजाया जाता है इमारत के बाहर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें पूरा गांव शामिल होता है और जश्न मनाता है बच्चे बूढ़े और नौजवान सभी इस जश्न में शामिल होते हैं और यदि इस दिन किसी बच्चे या गांव में किसी नौजवान का जन्मदिन होता है तो वह भी इस जश्न में ही अपना जन्मदिन मनाता है

17 अप्रैल 1742 मैं हुई थी स्थापना
आपको बता दें कि 17 अप्रैल 1742 में इस गांव की स्थापना की गई थी और इस गांव की स्थापना चौधरी गुलाब सिंह गुर्जर ने की थी चौधरी गुलाब सिंह पहले सरोजनी नगर के पास एक गांव में रहते थे जहां से वह बाद में कालका गढ़ी गांव में अपने पूरे परिवार के साथ बसने के लिए आ गए जिसके बाद उन्होंने इसकी स्थापना की .जिसके बाद सन् 2000 में इस गांव में एक नई परंपरा की शुरुआत की गई जिसके तहत हर साल 17 अप्रैल के दिन ही इस गांव का जन्मदिन मनाया जाने लगा.

आखिर क्यों गांव का जन्मदिन मनाया जाता है क्या मान्यता है इसके पीछे जब हमने इस पर इस गांव के पूर्व पार्षद धर्मवीर सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि आखिरकार किस वजह से उन्होंने इस परंपरा की शुरुआत की. धर्मवीर सिंह जी बताते हैं कि 17 अप्रैल के दिन पूरा गांव इकट्ठा होता है जिसके जरिए एक साथ कई लोग जो कि शायद इस समय इस गांव में नहीं भी है वह भी इस दिन एक साथ मौजूद होते हैं जिससे कि सब लोग मिल जाते हैं और एक अच्छा माहौल पैदा होता है इसी के साथ धर्मवीर सिंह बताते हैं की इस वक्त इस गांव में चौधरी गुलाब सिंह गुर्जर के वंश की करीबन 1000 फैमिली रहती हैं जिसकी वजह से उनका जो परिवार है वह काफी विकसित है और एक जगह मौजूद है

जर्जर हो चुकी है गांव की इमारत
धर्मवीर सिंह जी बताते हैं कि इस गांव को करीबन 300 साल हो चुके हैं और इसकी जो इमारत है वह काफी जर्जर हो चुकी है उसकी हालत बेहद खस्ता है क्योंकि बारिश के कारण छत पर पेड़ उगाए हैं और वह कभी भी धराशाई हो सकती है जिसको लेकर उन्होंने कई बार प्रशासन से दिल्ली सरकार से इसकी शिकायत की है और दिल्ली पुरातत्व विभाग से यह मांग की है कि वह इसके लिए कोई बेहतर कदम उठाए और इस इमारत की मरम्मत कराई लेकिन उन्हें कोई भी सुविधा नहीं दिया गया. वहीं हमने देखा कि इमारत के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है जिसमें की इमारत के अंदर ना जाने के निर्देश दिए गए हैं क्योंकि भारत की हालत काफी जर्जर है जिसके कारण कोई भी दुर्घटना हो सकते हैं जिसके कारण लोगों को उसके अंदर ना जाने की हिदायत दी गई है

धर्मवीर सिंह जी बताते हैं कि इस दिन जब पूरा गांव इकट्ठा होता है तो काफी बड़ा जश्न मनाया जाता है और हवन किया जाता है हवन के बाद फिर प्लांटेशन यानी कि पौधारोपण का काम किया जाता है और उस दिन एक पौधा लगाया जाता है और फिर इसी तरीके से हर साल 17 अप्रैल के दिन यानी कि गांव के जन्मदिन वाले दिन एक पौधा लगाकर गांव का जन्मदिन मनाया जाता है जिससे कि याद रहे और वह पौधा यादगार के रूप में पनपता रहे




Conclusion:17 अप्रैल को इकट्ठा होता है पूरा गांव
धर्मवीर सिंह जी बताते हैं कि इस गांव का जन्मदिन मनाए जाने के पीछे जो उनका मकसद है वह यह है कि इस दिन पूरा गांव इकट्ठा होता है और जो लोग इस गांव से चले गए हैं गुलाब सिंह गुर्जर का जो परिवार है वह कहीं और दूसरे शहरों में जाकर बस गया है वह इस दिन जरूर इकट्ठा होता है इस गांव में आता है और गांव के जन्मदिन में शामिल होता है.

और जब हमने इस गांव के प्रधान से गांव की इस परंपरा के बारे में बात की तो मनोज कुमार जी बताते हैं बहन की गांव के पूर्व निगम पार्षद धर्मवीर सिंह ने साल 2000 में इसकी शुरुआत की थी और तभी से हर साल 17 अप्रैल के दिन इस गांव का जन्मदिन मनाया जाएगा. गांव के प्रधान मनोज कुमार जी बताते हैं कि 17 अप्रैल से कुछ दिन पहले गांव के सभी लोगों को व्हाट्सएप के जरिए या फिर लोगों के पास जा जा कर उन्हें इसका निमंत्रण दिया जाता है उन्हें 17 अप्रैल के दिन गांव में इकट्ठा होने को कहा जाता है जिसके बाद सभी लोग गांव के पुरानी मांग के पास इकट्ठा होते हैं.

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इस तरीके से गांव का जन्मदिन मनाया जाना इस परंपरा को दर्शाता है कि भारत एक परंपराओं का देश है एक सांस्कृतिक देश है जिसमें की सभी भाषाओं के लोग सभी धर्मों के लोग मिलजुलकर रहते हैं और अपनी परंपरा को आगे लेकर चलते हैं यहां पर एक था और प्रेम आज भी विद्यमान है और उसी के चलते लोग इस गांव का जन्मदिन मनाते हैं
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