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Software engineer quits job, begins dairy farming

A software engineer quit his job and turned into a dairy farmer aiming to supply the best milk to people. He desires to do more for people, especially in health and food sector.

Software engineer switches jobs, begins dairy farming
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Published : Jun 11, 2019, 8:36 PM IST

Updated : Jun 12, 2019, 12:07 AM IST

Rohtas: This software engineer, who was employed at a private firm in New Delhi, quit his reputed job and switched to dairy farming.

A resident of Bihar's Rohtas, Keshav Srivastav returned to his native place after his father's death and that was when something stopped him from going back to Delhi. Instead, he decided to do something for his family, village and its people.

For this, Keshav then started dairy farming in his village. When asked about why specifically dairy, he said that milk was one of the major needs of any family. Therefore, milk supply would be the best idea to sustain, he said.

Even after receiving a backlash from his family and neighbours over the idea of starting a dairy business, Keshav's spirits didn't die and he went ahead with this venture.

Keshav now possesses more than three dozen cows. Other than dairy farming, he also does mushroom cultivation.

Keshav came up with the idea of providing good milk to the villagers when his family told him that people in the area hardly get good, healthy cow milk at an affordable price.

Keshav aspires to do more for the people in the future, especially in the health and food sector. He supplies milk after determining its quality on a lactometer.

Now, he not only supplies milk to his village, but also to far-off towns. Also, there are no extra charges implemented for supply in such areas.

At present, Keshav caters to more than 200 customers and has employed around 15 workers at his dairy.

READ: Specially-abled student battles odds secures 1st div inboards

Rohtas: This software engineer, who was employed at a private firm in New Delhi, quit his reputed job and switched to dairy farming.

A resident of Bihar's Rohtas, Keshav Srivastav returned to his native place after his father's death and that was when something stopped him from going back to Delhi. Instead, he decided to do something for his family, village and its people.

For this, Keshav then started dairy farming in his village. When asked about why specifically dairy, he said that milk was one of the major needs of any family. Therefore, milk supply would be the best idea to sustain, he said.

Even after receiving a backlash from his family and neighbours over the idea of starting a dairy business, Keshav's spirits didn't die and he went ahead with this venture.

Keshav now possesses more than three dozen cows. Other than dairy farming, he also does mushroom cultivation.

Keshav came up with the idea of providing good milk to the villagers when his family told him that people in the area hardly get good, healthy cow milk at an affordable price.

Keshav aspires to do more for the people in the future, especially in the health and food sector. He supplies milk after determining its quality on a lactometer.

Now, he not only supplies milk to his village, but also to far-off towns. Also, there are no extra charges implemented for supply in such areas.

At present, Keshav caters to more than 200 customers and has employed around 15 workers at his dairy.

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Intro:रोहतास। जिला मुख्यालय के गोरिया गांव के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर केशव श्रीवास्तव ने वह कर दिखाया है। जिसे सुनकर लोग अपने दांतो तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाएंगे।


Body:गौरतलब है कि इस आधुनिक जमाने में जहां एक तरफ लोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर बड़े बड़े कॉर्पोरेट सेक्टर और सरकारी नौकरी को पाने के लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं। तो वही करगहर प्रखंड के घोरडीहा गांव के रहने वाले केशव श्रीवास्तव ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है। केशव श्रीवास्तव का पैतृक घर घोरडीहा है। जहां से उन्होंने अपनी बुनियादी शिक्षा ग्रहण किया था। बदलते दौर को देखते हुए केशव प्रसाद केशव श्रीवास्तव ने भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई कर अपने पूरे गांव का नाम रोशन किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद केशव श्रीवास्तव दिल्ली में सॉफ्टवेयर कोर कंपनी में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर किसी निजी कंपनी में काम करने लगे। लेकिन केशव श्रीवास्तव के जिंदगी में उस वक्त अहम मोड़ आया जब उनके पिता गांव में रहते हुए ही इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए। पिता के देहांत ने किशोर को अपने गांव की ओर आना पड़ा। लिहाजा परिवार में कोई नहीं रहने की वजह से केशव के लिए अब अपने परिवार को देखना ही सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी। लिहाज़ा केशव श्रीवास्तव ने प्रोजेक्ट मैनेजर की नौकरी छोड़कर अपने गांव में ही दूध का बिजनेस शुरू किया। इसके लिए उन्होंने अपने गांव पर ही बड़े पैमाने पर खटाल की शुरुआत की। महज़ दो गैयों से खटाल की शुरुआत करने वाले केशव श्रीवास्तव के पास आज तकरीबन तीन दर्जन से अधिक गायें मौजूद है वह भी अच्छी नस्ल की गायों में गिनी जाती है। केशव श्रीवास्तव गाय के अलावा मशरूम की खेती करते हैं। हम आपको बता दें कि दिल्ली में रहते हुए केशव श्रीवास्तव को बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर ₹45000 से अधिक की सैलरी मिला करती थी। उसके बावजूद नौकरी को छोड़ कर अपने ही गांव पर दूध का व्यवसाय शुरू कर लिया। शुरुआती दौर में युवक को अपने परिवार और गांव का विरोध भी झेलना पड़ा। लेकिन युवक के जुनून के आगे सबको झुकना पड़ा। केशव बताते हैं कि वेस्टर्न कंपनी भी चलाते थे। लेकिन मन दिल्ली में नहीं लगता था वहां के हवा पानी की शुद्धता से समझौता करना उन्हें कतई गवारा नहीं था। अपने शहर में लोगों की सेवा करना चाहते थे। गाय के दूध का कारोबार शुरू करने के पीछे उनकी यह सोच थी कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग के लिए व्यक्ति को गाय का दूध ज्यादा फायदेमंद होता है। लिहाज़ा गाय का दूध लोगों को उपलब्ध कराया जाए। अक्सर देखा जा रहा है कि मिलावटी दूध की बिक्री से लोग परेशान हैं। इसी उद्देश्य को लेकर शिव दूध के नाम से दूध बिक्री केंद्र खोला है। जिसमें दूध की शुद्धता मापने वाली मशीन लैक्टोमीटर से माफ कर दूध की सप्लाई करते हैं। शिव दूध की आपूर्ति खटाल से काफी दूर सासाराम शहर से की जाती है। इसके साथ ही शहर में लोगों के घरों में दूध पहुंचाने का कोई चार्ज भी इनके द्वारा नहीं लिया जाता है। बल्कि दूध की डिलीवरी बिल्कुल फ्री होती है। दूध की शुद्धता की बात करें तो सौ फीसद शुद्ध दूध देने की बात करते हैं। बहरहाल फिलहाल उनके पास तकरीबन दो सौ की संख्या में ग्राहक मौजूद है। किशोर श्रीवास्तव इस व्यवसाय में तकरीबन 15 लोगों को रोजगार भी दे रखा है। उन्होंने बताया कि फिलहाल इसमें शुरुआती दौर में आमदनी कुछ नहीं होती है। लेकिन साल लगते ही काफी अधिक मुनाफा होने लगता है। वहीं उन्होंने बताया कि इस बिजनेस में थोड़ा मेहनत अधिक करना होता है। बहरहालनबिजनेस शुरू करने के लिए उन्होंने मामूली रकम लगाया। लेकिन जरूरत के मुताबिक खटाल में गायों की संख्या वे बढ़ाते चले गए और आज कई दर्जन गायें उनके खटाल में मौजूद है और सुबह शाम दूध देती है। जिसे अपने ही बिजनेस प्वाइंट से घरों तक सप्लाई करते हैं।


Conclusion:बहरहाल केशव श्रीवास्तव गांव में लोगों के लिए चर्चा का विषय बने हुए हैं। क्योंकि सूट बूट में जब केशव श्रीवास्तव खटाल में पहुंचते हैं और अपने हाथों से गाय के गोबर को सानिया देते हैं तो लोग उनकी एक झलक पाने के लिए दौड़ पड़ते हैं।

बाइट। केशव श्रीवास्तव
Last Updated : Jun 12, 2019, 12:07 AM IST
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