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Karnal to stop rice export to Iran

The All India Rice Exporters Association has decided that they will no longer export rice to Iran as they are yet to receive Rs 1400 crore from Iran.

Karnal stops' rice export to Iran
Karnal stops' rice export to Iran
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Published : Jan 17, 2020, 6:08 PM IST

Updated : Jan 17, 2020, 7:34 PM IST

Karnal: The All India Rice Exporters Association has decided to stop the export of Basmati rice, especially to Iran. The export will not take place until the situation becomes normal.

Rice exporters are worried about their payment. All India Rice Exporters Association have decided to export rice against advance payment or letter of credit. Rice exporters said that they would not take any risk after the payment of about Rs 1400 crore rupees in Iran.

India is the largest market for Basmati rice, including Pusa Basmati 1509 and Pusa 1121. He fears that if the situation does not improve, it will affect both rice producers and exporters badly.

Basmati rice export destinations
Basmati rice export destinations

Rice production in Karnal

Basmati in Haryana is extensively grown in Karnal and adjoining districts. In the Kharif season of 2019, paddy acreage in Karnal district was 1.3 lakh metric tonnes and about 40% of it was Basmati. There are about 35 rice exporters in that district which do business with Iran and other countries. Karnal is the largest rice hub in the country.

The exporter and former chairman of AIRAI, Vijay Setia, said Iran was an important trade partner for India. India exported 1.4 million metric tons LMT of Basmati rice to Iran in 2018-19, but so far only 7 MLD has been exported in the 2019 financial year.

Focus on local market

About 7 MLT of rice was to be exported to Iran in the next three months. Due to the current situation in Iran, we have to focus on the local market, which may cause a fall in prices.

Setia said that the crisis has also affected the prices of rice in the international market. We trust Iranian buyers and want to continue the trade, but due to the increasing tension in Iran and America, the Association has issued an advisory to send rice against the advance payment and to stop the export of rice immediately.

Iran has issued a payment of about 40% of the rice imports worth Rs.12 crores which were stuck since May 2019. In December last year, about 500 crores of rice have been exported to Iran. Indian exporters are yet to receive Rs 14 hundred crore from Iran. We want security for our payment, Setia added.

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Iran, India can look at barter trade in agriculture

Iran's Foreign Minister Mohammad Javad Zarif has pitched for barter trade with India in the agriculture sector as well as setting up of Indian banks in the country which will also enable Iranian businesses to carry out transactions in rupee and rial.

While emphasising that India would not find a stable and reliable energy partner other than Iran, Zarif also said both countries should trade in their own currencies to overthrow the dominance of the US dollar.

There are economic sanctions imposed by the US on Iran.

Intro:अमेरिका और ईरान की तनावपूर्ण स्थिति के चलते ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने लिया फैसला, 14 करोड रुपए बकाया भुगतान के चलते नहीं करेंगे ईरान को चावल निर्यात, जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक तीन इस्लामिक देशों को नहीं होगा चावल निर्यात ।


Body:ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने व्यापार संगठन बना दिया है । ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ईरान को विशेषकर बासमती चावल के निर्यात को रोकने का निर्णय किया है ।जब तक की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक निर्यात नही होगा । निर्यातक अपने भुगतान को लेकर परेशान है । तीन इस्लामिक राष्ट्र (एयरिया) यानी ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने अग्रिम भुगतान या ऋण पत्र के खिलाफ चावल का निर्यात करने का फैसला किया है । चावल निर्यातकों ने कहा कि वे ईरान में लगभग 14 करोड रुपए के भुगतान के बाद से कोई जोखिम नहीं लेंगे । जो भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा बाजार है जिसमें पूसा बासमती 1509 और पूसा 1121 शामिल है । उन्हें डर है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ यह चावल उत्पादकों और निर्यातको दोनों को बुरी तरह से प्रभावित करेगा । हरियाणा में बासमती बड़े पैमाने पर करनाल और आसपास के जिलों में उगाया जाता है ।2019 में खरीफ सीजन में धान का रकबा करनाल जिले में 1.3 लाख तथा इसमें लगभग 40% बासमती का था । करनाल जिले में लगभग 35 चावल निर्यातक है जो ईरान और अन्य देशों के साथ व्यापार करते हैं ।करनाल देश का सबसे बड़ा चावल हव है ।




Conclusion: निर्यातक और एयरिया के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि ईरान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार था । 2018 19 में भारत ने ईरान को बासमती चावल का 14 लाख मैट्रिक टन एलएमटी निर्यात किया लेकिन 2019 के वित्तीय वर्ष में अब तक केवल 7 एमएलडी का निर्यात किया जा सका है अगले 3 महीनों में लगभग 7 एमएलटी चावल ईरान को निर्यात किया जाना था । ईरान की मौजूदा स्थिति के कारण हमें स्थानीय बाजार पर ध्यान केंद्रित करना होगा जिससे कीमतों में गिरावट हो सकती है ।उन्होंने कहा कि संकट ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों को भी प्रभावित किया है । हम ईरानी खरीदारों पर भरोसा करते हैं और व्यापार को जारी रखना चाहते हैं लेकिन ईरान अमेरिका के बढ़ते तनाव के कारण एसोसिएशन ने चावल के निर्यात को तुरंत रोकने का अग्रिम भुगतान के खिलाफ चावल भेजने के लिए सलाह जारी की है । ईरान ने 12 सो करोड़ रुपए के चावल आयात में से लगभग 40% भुगतान जारी किया है जो मई 2019 से अटका हुआ था । पिछले साल दिसंबर में लगभग ₹500 करोड़ चावल का इरान को निर्यात किया गया है ।भारतीय निर्यातकों को ईरान से 14 सौ करोड रुपए प्राप्त करना बाकी है । हम अपने भुगतान के लिए सुरक्षा चाहते हैं ।

बाईट - विजय सेतिया - एक्स ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन प्रेसिडेंट
वाक थ्रू
Last Updated : Jan 17, 2020, 7:34 PM IST

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