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Party workers responsible for J'khand's poll defeat: BJP leader

With the Jharkhand Mukti Morcha (JMM) led alliance securing a clear majority in the Jharkhand assembly, BJP's national spokesperson Bizay Sonkar Shastri accepted the defeat and blamed the party workers for losing their electoral stronghold.

Bizay Sonkar Shastri
Bizay Sonkar Shastri
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Published : Dec 25, 2019, 6:22 PM IST

Delhi: With the Bharatiya Janata Party (BJP) losing to the Jharkhand Mukti Morcha-Congress- Rashtriya Janta Dal alliance in the recently concluded Jharkhand assembly polls, BJP's national Spokesperson Bizay Sonkar Shastri accepted the defeat and blamed the party workers for losing their electoral stronghold.

BJP national spokesperson Bizay Sonkar Shastri charged that party workers were responsible for the BJP's defeat in Jharkhand.

"I do feel that since we are a big party, with lots of party workers, and the fact that more than 15 party workers expressed their desire to contest from one seat, led to the defeat of the party. Our party workers led to our poll defeat," Shastri told ETV Bharat.

When asked if the party lost the election because it campaigned on the wrong issues, Shastri said, "We lost ground in Jharkhand not because we raised the wrong issues or didn't deliver on our promises."

"During the Congress-led UPA regime, 60,000 crore was allocated for Jharkhand, but since our government was formed at the Centre, six lakh crore was allocated to the state during the first five years of our government, " added Shastri.

The Jharkhand Mukti Morcha (JMM) led alliance secured a clear majority in the Jharkhand assembly.

Also read: India to get its first Chief of Defence Staff, here's all you need to know

The JMM has recorded its best-ever performance and emerged as the single largest party with 29 MLAs. The Bharatiya Janata Party’s (BJP) loss; its tally has come down from 37 MLAs in 2014 to 27, can be attributed to three cascading factors.

Delhi: With the Bharatiya Janata Party (BJP) losing to the Jharkhand Mukti Morcha-Congress- Rashtriya Janta Dal alliance in the recently concluded Jharkhand assembly polls, BJP's national Spokesperson Bizay Sonkar Shastri accepted the defeat and blamed the party workers for losing their electoral stronghold.

BJP national spokesperson Bizay Sonkar Shastri charged that party workers were responsible for the BJP's defeat in Jharkhand.

"I do feel that since we are a big party, with lots of party workers, and the fact that more than 15 party workers expressed their desire to contest from one seat, led to the defeat of the party. Our party workers led to our poll defeat," Shastri told ETV Bharat.

When asked if the party lost the election because it campaigned on the wrong issues, Shastri said, "We lost ground in Jharkhand not because we raised the wrong issues or didn't deliver on our promises."

"During the Congress-led UPA regime, 60,000 crore was allocated for Jharkhand, but since our government was formed at the Centre, six lakh crore was allocated to the state during the first five years of our government, " added Shastri.

The Jharkhand Mukti Morcha (JMM) led alliance secured a clear majority in the Jharkhand assembly.

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The JMM has recorded its best-ever performance and emerged as the single largest party with 29 MLAs. The Bharatiya Janata Party’s (BJP) loss; its tally has come down from 37 MLAs in 2014 to 27, can be attributed to three cascading factors.

Intro:झारखंड में जोर-शोर से डबल इंजन की सरकार देने का लगातार वायदा कर रही भाजपा क्या मुद्दों को पहचानने में लगातार असफल हो रही है इससे पहले छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश राजस्थान महाराष्ट्र और अब झारखंड क्या बीजेपी इन राज्यों की जनता की नब्ज पहचानने में भूल कर रही थी इन तमाम राज्यों के चुनाव को देखा जाए तो हरियाणा को भी मिला कर बीजेपी ने ज्यादातर राज्य में केंद्र की उपलब्धियों पर चुनाव लड़ा डबल इंजन का सरकार देने का वायदा झारखंड में भी बीजेपी जोर शोर से करती रही क्या राज्य की जनता को डबल इंजन रास नहीं आ रहा क्या वजह है कि एक के बाद एक लगातार बीजेपी के हाथों से राज्य निकलते जा रहे हैं केंद्र की योजनाओं को लेकर और जाति वर्ण व्यवस्था को अलग कर बीजेपी विकास और केंद्र की परियोजनाओं को लेकर लगातार चुनाव प्रचार करती रहे भाजपा का कहना था कि वह विकास के नाम पर चुनाव लड़ेगी जाति प्रथा में भाजपा का विश्वास नहीं क्या यही बोल रही भाजपा के इन राज्यों में चुनाव हारने की जरूरत है बीजेपी को पुनर समीक्षा करने की लेकिन भाजपा के नेताओं का मानना है कि भाजपा ने कोई गलती नहीं की जबकि वास्तविकता देखी जाए तो बार बार भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर इन राज्यों में दूसरी पार्टियों से नेताओं को लेने का सिलसिला भी बंद नहीं कर पा रही इससे भाजपा का मूल कैडर राज्य में नाराज चल रहा है और इन्हीं बातों को लेकर जरूरत है पार्टी को पुनः समीक्षा करने की


Body:महाराष्ट्र में गैर मराठा मुख्यमंत्री उम्मीदवार हरियाणा में गैर जाट मुख्यमंत्री उम्मीदवार और उसके बाद आदिवासी बहुल क्षेत्र झारखंड में गैर आदिवासी मुख्यमंत्री उम्मीदवार बार बार भाजपा अपनी एक ही भूल को दोहरा रही है पार्टी को ऐसा लगा था कि शायद 5 साल पहले जो पार्टी के लिए शमा तैयार हुई थी नरेंद्र मोदी के नाम पर शायद उन्हीं तमाम मुद्दों को इन राज्यों में 5 साल के बाद भी बना पाएगी पार्टी ने जनता का नंबर पहचानने में भूल कर दी जहां महाराष्ट्र में मराठा और गैर मराठा के बीच जबरदस्त विरोधियों की तरफ से चुनाव प्रचार किया गया वहीं झारखंड के चुनाव में आदिवासी और आदिवासियों को लेकर भी विरोधियों ने काफी हमले की है यही दिक्कत भाजपा को हरियाणा में भी देखना पड़ा हालांकि जैसे तैसे हरियाणा में भाजपा सरकार बनाने में सफल हो गई मगर यह सरकार भी सहयोगी यों के भरोसे ही चल रही है ऐसे में देखना यह होगा कि क्या बीजेपी जो दावे कर रही है कि जाति धर्म संप्रदाय से उठकर विकास के नाम पर चुनाव लड़ना चाहती है केंद्र की उपलब्धियों पर चुनाव लड़ना चाहती है इन तमाम बातों को राज्यों में राज्यों के मुद्दे चुनाव में हावी रहे झारखंड के चुनाव पर अगर समीक्षा की जाए तो झारखंड मुक्ति मोर्चा हो या फिर कांग्रेस दोनों ने अपने चुनाव प्रचार को झारखंड आदिवासी बहुल क्षेत्रों और उन राज्यों की मूल बुनियादी सुविधाओं पर ही केंद्रित रखा यही नहीं महागठबंधन ने भी इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में आदिवासी ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को भी उतारा कहीं ना कहीं यह फैक्टर भाजपा के लिए नुकसान कर गया लगातार भाजपा पर यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रही है दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं का पार्टी में बोलबाला होता जा रहा है और पार्टी का कैडर छूटता जा रहा है झारखंड के चुनाव में भी देखने को मिला ज्यादातर सीटों पर भाजपा के अपने लोगों ने ही उनके उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में हराया चाहे वह खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास ही क्यों ना हो जीतने वाले कैंडिडेट टिकट काटे गए और बाहरी उम्मीदवारों को टिकट बाटा गया


Conclusion:भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा ऐसा नहीं है कि जनता ने हमारे डबल इंजन की सरकार के वायदे को पूरी तरह से नकार दिया हमारी पार्टी ने भी 26 सीटें वहां पर जीती है मगर पार्टी हमेशा सही जाति धर्म संप्रदाय के नाम पर चुनाव नहीं लड़ती रही है चाहे परिणाम कुछ भी हो आगे भी वह विकास के नाम पर ही चुनाव लड़ेगी लेकिन हां यह जरूर है कि कहीं न कहीं कई सीटों पर अपने लोगों ने हराया यानी कि पार्टी खुद भी यह मानती है कि पार्टी के अंदर मतभेद और पार्टी के कैडर का नाराज होना इन हार की एक बड़ी वजह है और अगर पार्टी इन बातों पर समीक्षा नहीं कहती तो कहीं ना कहीं यह मानकर चला जा सकता है कि पार्टी का डांस शुरू हो चुका है और पार्टी को अपनी नीति मूल परिवर्तन करना ही पड़ेगा मगर चाहे कुछ भी हो विपक्षी पार्टियां इसे बीजेपी का डाउनफॉल ही बता रहे हैं
जहां कुछ दिन पहले तक भाजपा के शीर्ष नेता भारत के मानचित्र दिखाकर और उनमें राज्यों के केसरिया रंग दिखा दिखाकर चुनाव प्रचार कर रहे थे उस मानचित्र में लगातार घटते इस केसरिया रंग को लेकर अब कहीं ना कहीं भाजपा के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही है और अब यह देखना है कि पार्टी आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने मुद्दों और नेताओं के बीच क्या नया परिवर्तन लाती है
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