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Why are EU parliamentarians allowed to visit J&K when opposition leaders are not, asks Azad

Senior Congress leader Ghulam Nabi Azad condemned the move of the centre to allow the European Parliament delegation to visit Jammu and Kashmir when Indian MPs have to seek the permission of the court to visit the Valley. The Congress leader termed the EU parliamentarians' visit to the valley as a "conducted tour".

Why are EU parliamentarians allowed to visit Jammu and Kashmir when opposition leaders are not?
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Published : Oct 30, 2019, 10:15 AM IST

New Delhi: Congress leader and Rajya Sabha member Ghulam Nabi Azad on Tuesday slammed the BJP-led central government for allowing European Union (EU) parliamentarians to visit Jammu and Kashmir, but not the country's opposition leaders.

"I don't have an objection to the European Union Parliament delegation visiting Jammu and Kashmir. What I object to is that the MPs of our own country are not being allowed to visit the place. I myself tried to visit Srinagar several times but I was sent back," Azad said addressing a public gathering here.

He said that he was finally allowed to visit Jammu and Kashmir after the Supreme Court's permission.

"Despite SC order, I was only allowed to visit selected places. Even at these places, police were sending 90 per cent of the people back to their houses. There were cameras everywhere and people were being asked their addresses. People were threatened to not speak against the government," Azad said.

The Congress leader termed the EU parliamentarians' visit to Jammu and Kashmir as a "conducted tour".

Later, addressing the media, Azad said, "Why are EU leaders being allowed to visit Jammu and Kashmir when even the opposition leaders are not being allowed to go there? This is an insult to the Parliament of India."

"Only some phones are working in the region while there is no internet connection. How are students suppose to study and businesses supposed to run?" he added.

Azad said that he thinks the region has suffered a loss of around Rs 50-60 thousand crores since the abrogation of Article 370.

Also read: India to play their first-ever day-night Test against Bangladesh in Kolkata

New Delhi: Congress leader and Rajya Sabha member Ghulam Nabi Azad on Tuesday slammed the BJP-led central government for allowing European Union (EU) parliamentarians to visit Jammu and Kashmir, but not the country's opposition leaders.

"I don't have an objection to the European Union Parliament delegation visiting Jammu and Kashmir. What I object to is that the MPs of our own country are not being allowed to visit the place. I myself tried to visit Srinagar several times but I was sent back," Azad said addressing a public gathering here.

He said that he was finally allowed to visit Jammu and Kashmir after the Supreme Court's permission.

"Despite SC order, I was only allowed to visit selected places. Even at these places, police were sending 90 per cent of the people back to their houses. There were cameras everywhere and people were being asked their addresses. People were threatened to not speak against the government," Azad said.

The Congress leader termed the EU parliamentarians' visit to Jammu and Kashmir as a "conducted tour".

Later, addressing the media, Azad said, "Why are EU leaders being allowed to visit Jammu and Kashmir when even the opposition leaders are not being allowed to go there? This is an insult to the Parliament of India."

"Only some phones are working in the region while there is no internet connection. How are students suppose to study and businesses supposed to run?" he added.

Azad said that he thinks the region has suffered a loss of around Rs 50-60 thousand crores since the abrogation of Article 370.

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Intro:अयोध्या. इस वक्त जहां पूरा देश अयोध्या में चल रहे दीपोत्सव को आनंद छोड़ा है और एक नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहा है तो वही अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र के 422 परिवार ऐसे हैं जो उदासी बदहाली और अंधेरे में रहने को मजबूर है अंधेरा इसलिए है क्योंकि इनकी जमीन है छीन ली गई इनके खेत छीन लिए गए और इन्हें खुशहाल परिवार से सड़कों पर ठेला लगाने पर मजदूरी करने के लिए बेघर छोड़ दिया गया ईटीवी भारत इस दिवाली ऐसे ही कुछ परिवारों से बात करके उनके दर्द को बयां करना चाहता है कि एक तरफ जहां अयोध्या में दीपोत्सव में करोड़ों रुपए खर्च करके नए नए रिकॉर्ड बनाए जा रहे हैं दुनिया में यहां के प्रकाश को फैलाने की बात कही जा रही है वहीं श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र के जिसे रामकोट क्षेत्र भी कहते हैं ऐसे परिवार भी हैं जो आज तक बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान जयकुमार श्याम मौर्या कमलेश और रागिनी ने अपनी ढलती उम्र के साथ अपने दर्द को बयां किया।



Body:ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान श्याम मौर्य ने बताया के जब हम छोटे-छोटे थे उस वक्त ही हमार और पाक के नाम पर ले ले गए थे सरकार ने कहा था कि हम यह जमीन अधिग्रहण करते हैं उनका मुआवजा भी दिया जाएगा हमारी हजारों लाखों की जमीन को सिर्फ ₹2 के हिसाब से हमें मुआवजा दिया गया कहां गया सरकारी नौकरी मिलेगी लेकिन आज तक ना नौकरी मिली है ना मुआवजा मिला है हम लोग बस सिलाई की दुकान पर काम करते हैं और भाई ठेला लगाता है।
वहीं इसी क्षेत्र से जुड़े हुए बाबू राममानंद मौर्य की उम्र 80 साल से ऊपर हो चुकी हैं, इन्हें सुनाई कम देता है। ये कहते हैं कि मेरी पूरी जिंदगी अपने खेत और अपनी जमीन को पाने में निकल गई लेकिन सिर्फ हमें ₹2 34 पैसे ही मिले थे हमारी 15 से 20 एकड़ की जमीन जो मेरे हिस्से में थी। उस वक़्त मैं जवान था, सोचा था जमीन गई तो नौकरी से ही पेट भरेंगे, लेकिन सरकारी वादे हर बार की तरह झूठे ही निकले। तब हमने राज्य सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में केस किया, जिसकी आजतक तारीख ही मिली है, फैसला नहीं।
वहीं इसी क्षेत्र में रहने वाले संत राम मौर्य कहते हैं। कि, मेरी आंखें बंद होने से पहले एक बार मैं अपनी ज़मीन अपने खेत मे दीप जलाना चाहता हूं। ताकि मुझे सुकून मिल सके। उन्होंने बताया कि मुझे मेरी ही ज़मीन पर माली बनाकर सरकार डेढ़ सौ रु मजदूरी देती है, वो भी एक कॉन्ट्रैक्ट है। मेरे इससे बुरा और दुख क्या होगा, की हर दीवाली मैं अपने घर में अकेले में रो लेता हूँ, क्योंकि मेरी दीवाली बिना ज़मीन बिना खेत के सूनी है।


Conclusion:श्री राम जन्मभूमि पर क्षेत्र के रामपुर क्षेत्र में लगभग 422 परिवार रहते हैं इन 422 परिवारों में स्थिति लगभग खानाबदोश जैसी है इसमें भी और बुरी स्थिति और दुर्दशा ऐसे परिवारों की है जिनकी खेती की जमीन जिनके घर की जमीन जिनके मकान की जमीन सब कुछ राम जन्मभूमि क्षेत्र के बैरिकेडिंग के अंदर चली गई और वह सड़कों पर रहने को मजबूर हैं, सरकार की तरफ से मुआवजे के नाम पर मजाक किया गया, एक ऐसा मज़ाक जिसने इनकी दुनिया में अंधेरा कर दिया, जिसे अब भगवान राम ही दूर कर सकते हैं। वो राम कब आएंगे कोई नहीं जानता।
सभी ऐसे परिवार हैं जिनकी जमीन 1989 में राज्य सरकार ने अधिग्रहण की जिसमें राम कथा पार्क और राम मंदिर बनाने की बात कही उसके बाद जब 1992 में बाबरी विध्वंस हुआ तब से लेकर आज तक यह अपनी ही जमीन में अपने पैर रखने की परमिशन मांगने के लिए परेशान है ताकि उस जमीन पर वह दिए जला सके दीप जला सके इनके घरों में परिवारों में पूरी तरह से अंधेरा है अभी अंधेरा भगवान राम स्वयं अवतरित होंगे तभी दूर होने की उम्मीद है इंतजार करते हैं कि कोई ऐसी दीवाली आए जिससे हमारे घरों के अंधेरे को भी रोशनी मिल सके हमारी जमीन वापस मिल सके।
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