ऐतिहासिक नगरी में रामलीला का 159 साल से हो रहा मंचन, इसलिए है खास
अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपने आपमें कई सांस्कृतिक विरासतों को समेटे हुए हैं. जिसमें कुमाऊं की रामलीला भी एक है. कुमाऊं में सबसे पहले सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा से शुरू हुई थी. जो गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस पर आधारित होती है. बताया जाता है कि कुमाऊं की पहली रामलीला 1860 में अल्मोड़ा नगर के बद्रेश्वर मंदिर में हुई थी. इस परंपरा के निर्वहन को 159 साल हो गए हैं. जिसका श्रेय तत्कालीन डिप्टी कलक्टर स्व० देवीदत्त जोशी को जाता है. गौर हो कि अल्मोड़ा में 29 सितंबर से शुरू होने वाले नवरात्र में होने वाली रामलीला की तैयारी इन दिनों जोरों पर चल रही है. जिसके लिए इन दिनों अल्मोड़ा के कई जगहों में रामलीला के पात्रों को तालीम दी जा रही है. जिसके लिए रात रातभर कलाकार इसकी ट्रेंनिग ले रहे हैं. कुमाऊं में रामलीला का देश के विभिन्न प्रान्तों से अलग तरीकों से मंचन किया जाता है. खासकर कुमाऊं अंचल में रामलीला मुख्यतया गीत-नाट्य शैली के अलावा कई रागों में प्रस्तुत की जाती है. सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में नवरात्र में होने वाली रामलीला की तैयारियां इन दिनों जोरों पर चल रही है. यहां की रामलीला की एक अलग ही पहचान है और अपना एक अलग ही महत्व है.