क्या है वो ब्रह्मकमल, जिसे तोड़ने के लिए लेनी पड़ती है देवताओं की अनुमति - उत्तरकाशी सोमेश्वर देवता
उत्तराखंड को कुदरत ने प्राकृतिक सुंदरता के साथ बहुमूल्य वन संपदा से नवाजा है. जिनमें हिमालयराज के ताज को सुशोभित करने वाला ब्रह्मकमल भी शामिल है. ब्रह्मकमल का विशेष धार्मिक भी महत्व है. उत्तरकाशी जिले में ब्रह्म कमल को सोमेश्वर देवता का पुष्प माना जाता है. क्योंकि, उपला टकनौर और मोरी के ऊंचाई वाले इलाकों में भगवान सोमेश्वर पूजे जाते हैं. ऐसे में इसे तोड़ने के लिए ग्रामीण अपने आराध्य देव सोमेश्वर की आज्ञा लेते हैं. माना जाता है कि इस देवपुष्प को घर में रखने से सुख-समृद्धि आती है. इतना ही नहीं ये औषधीय गुणों से भरपूर होता है. ऐसे में इसे रिश्तेदारों को प्रसाद स्वरूप भेंट देने की परंपरा भी है.