मसूरी के भद्रराज मेले में उमड़ा आस्था का सैलाब, भगवान बलराम ने यहां राक्षस का किया था वध - भद्रराज मेला उत्तराखंड
मसूरी से 15 किलोमीटर दूर दूधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित भगवान बलराम के मंदिर में लगने वाला दो दिवसीय भद्रराज मेला संपन्न हो गया. मेले में जौनसार, पछवादून, जौनपुर, मसूरी, विकासनगर और देहरादून समेत अन्य इलाकों के हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान बलभद्र का दुग्धाभिषेक किया. मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. यह उत्तराखंड में भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर है. मेले में हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान भद्रराज का दूध, घी, मक्खन और दही से अभिषेक किया. साथ ही पशुधन की सुरक्षा एवं परिवार की खुशहाली की कामना की. वहीं, लोक कलाकारों की प्रस्तुति पर लोग जमकर थिरके.
भद्रराज मंदिर समिति की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाले 8 लोगों को भद्रराज गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया. इस मेले सीएम पुष्कर धामी राजकीय मेला घोषित कर चुके हैं. मंदिर के पुजारी मनोज तिवारी ने बताया कि महाभारत काल में कृष्ण के भाई बलराम मसूरी के इस दूरस्थ क्षेत्र दूधली में भ्रमण के लिए निकले थे. वहां जाकर गौपालकों को प्रवचन दिए और गौ की महत्ता से अवगत कराया. तभी से यहां पर मंदिर बनाया गया. मान्यता है कि पौराणिक काल में पहाड़ी पर एक राक्षस ग्रामीणों के पशुओं को खा जाता था. मवेशी पालकों को भी परेशान करता था. जिस पर ग्रामीण भगवान बलराम के पास सहायता के लिए पहुंचे.
बलराम ने ग्रामीणों को मायूस नहीं किया और पहाड़ी पर जाकर राक्षस का अंत किया. चरवाहों के साथ लंबे समय तक पशुओं को भी चराया. इसलिए ग्रामीणों ने भगवान बलराम का मंदिर बनाई और उनकी पूजा शुरू की. ऐसी मान्यता है कि भगवान बलभद्र आज भी उनके पशुओं की रक्षा करते हैं. यह मंदिर भगवान कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित है. यहां भद्राज के रूप में बलराम जी की पूजा होती है.