फगुआ में ढोलक की थाप की आवाज हुई खत्म! डिजिटल साउंड ने छीनी पहचान - ALDWANI DHOLAK ARTISANS ON VERGE OF MISERY
उत्तराखंड की आर्थिक राजधानी हल्द्वानी के ढोलक की कभी देश दुनिया में पहचान हुआ करती थी. हल्द्वानी के ढोलक बस्ती के ढोलकों का कन्याकुमारी से जम्मू कश्मीर तक पश्चिम बंगाल से पंजाब तक देश के हर कोने में कारोबार होता था. लेकिन अब आधुनिक तकनीक और डिजिटल साउंड के जमाने में धीरे-धीरे ढोलक की मांग खत्म हो रही है. बदलते दौर से ढोलक कारोबार धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. ऐसे में ढोलक बनाने वाले कारीगर बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं. ढोलक कारीगरों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है. हल्द्वानी के रेलवे स्टेशन से लगी ढोलक बस्ती के ढोलकों की पहचान देश के कोने-कोने में कभी हुआ करती थी. यहां के रहने वाले परिवार ढोलक का कारोबार करते हैं, जो कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं. ढोलक बस्ती के ढोलक की पहचान उत्तराखंड के साथ-साथ यूपी, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, गोवा, दिल्ली तक हुआ करती थी. होली के दौरान हल्द्वानी के ढोलक की थाप पर होली की महफिल जमा करती थी. लेकिन अब डिजिटल साउंड ने ढोलक कारोबार खत्म कर दिया है.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:20 PM IST