'चक्की' में पिस गई घराट, विलुप्त होने के कगार पर 'विरासत' - गेंहू पीसने वाला घराट
सदियों से पहाड़ी इलाकों में पनचक्की से चलने वाले घराट लोगों को पौष्टिक आटा देकर जीवन प्रदान करते थे. मगर अब घराट संस्कृति अपने संरक्षण के आखिरी सांसे गिन रही है. उत्तराखंड के पहाड़ी व दूरस्थ क्षेत्रों में घराट संस्कृति अपने अंतिम क्षणों में है, क्योंकि भौतिकता वाद के कारण यह अब विलुप्ति की कगार पर हैं.