उत्तरकाशी: हिमालय के जिन पहाड़ी दर्रों के सामने नौजवानों के हौसले भी पस्त हो जाते हैं, उन्हें पार करने का प्रयास 50 साल से ज्यादा उम्र की 11 महिलाओं ने किया है. 50 साल से ज्यादा उम्र की 11 महिलाओं का एक समूह ट्रांस हिमालयी अभियान को पूरा करके शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला को पार करने के मिशन पर है, जिसे सबसे कठिन ट्रेकिंग अभियान में से एक माना जाता है.
दुनिया में पांच महीने के लंबे अभियान के दौरान महान पर्वतारोही पद्म भूषण पुरस्कार विजेता बछेंद्री पाल के नेतृत्व में टीम 4,977 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और 37 पहाड़ी दर्रों को पार करेगी. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन 8 मार्च को 11 महिलाओं की ये टीम नई दिल्ली से रवाना हुई थी.
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अभियान 12 मार्च को भारत-म्यांमार सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश में 3,727 फीट की ऊंचाई पर स्थित पांग-साऊ दर्रे से शुरू हुआ. असम, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और नेपाल क्षेत्रों में स्थित हजारों किलोमीटर की लंबी पैदल यात्रा और हजारों किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद टीम आखिरकार 30 जून को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पहुंची, जहां ग्रामीणों ने टीम का भव्य स्वागत किया. ये लोग भी इन महिलाओं के साहस और वीरता को लेकर चकित है.
ढलती उम्र में पहाड़ को चुनौती दे रहा महिलाओं का ये ग्रुप पर्वतारोही बछेंद्री पाल ने कहा कि जब उन्होंने इस अभियान की शुरुआत की थी तो वे खुद चिंतित थीं कि क्या वो इस विशाल कार्य को पूरा कर पाएंगे या नहीं? लेकिन लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया ने उन्हें और उनकी टीम को प्रेरित किया. इसके अलावा जिम्मेदारी की भावना थी, जो उन्हें एक योद्धा की तरह महसूस कराता है, जो फिटनेस और महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरुकता फैलाने के राष्ट्रीय कर्तव्य पर हैं.
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बछेंद्री पाल ने बताया कि उन्होंने इस 50 प्लस महिला ट्रांस हिमालयन अभियान में फिट नाम दिया गया है, जिसे टाटा स्टील और युवा एंव खेल मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया. ये अभियान पीएम नरेंद्र मोदी की ड्रीम पहल फिट इंडिया मूवमेंट के तहत आयोजित किया गया है. अभियान का मकसद फिटनेस, जीवन शैली से संबंधित बीमारियों और महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता फैलाना है. इसके अलावा इस अभियान का मकसद लोगों को प्रेरित करने का प्रयास है, ये बताने की कोशिश है कि अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती. टीम के सदस्य-
- बछेंद्री पाल, 67 वर्ष.
- उपनेता 54 वर्षीय चेतना साहू (पश्चिम बंगाल).
- 53 वर्षीय सविता धपवाल (छत्तीसगढ़).
- 52 वर्षीय एल अन्नपूर्णा (जमशेदपुर).
- 63 वर्षीय गंगोत्री सोनेजी (गुजरात).
- 57 वर्षीय पायो मुर्मू (झारखंड).
- 55 वर्षीय सुषमा बिस्सा (राजस्थान)
- 59 वर्षीय सेवानिवृत्त मेजर कृष्णा दुबे (उत्तर प्रदेश).
- 54 वर्षीय बिमला देवस्कर (महाराष्ट्र).
- 68 वर्षीय वसुमति श्रीनिवासन (कर्नाटक).
- 64 वर्षीय शामला पद्मनाभन (कर्नाटक).
कोर मेंबर के अलावा स्पोर्ट स्टाफ के तौर पर मोहन सिंह रावत, रणदेव सिंह और भानु रानी महतो भी टीम के साथ हैं. इन सभी प्रयासों से ये टीम केवल एक संदेश देना चाहती है कि अगर इस उम्र की महिलाएं ऐसा कर सकती हैं तो अन्य लोग कुछ भी हासिल कर सकते हैं या कम से कम अधिक प्रयास कर सकते हैं. टीम 1 जून को हर्षिल से अपना अभियान फिर से शुरू करेगी. वो हिमाचल प्रदेश पहुंचने के लिए लमखागा दर्रे को पार करेंगे. इसके बाद वे स्पीति, लेह लद्दाख को पार करेंगे और अंत में जुलाई के अंत तक कारगिल में अभियान का समापन करेंगे.