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पुलिसिया दमन के खिलाफ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, चार पुलिसकर्मी लाइन हाजिर - beating of father and son

पुरोला पुलिस ने मठ ग्राम पंचायत में बाप-बेटे को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था. ऐसे में इस पुलिसिया दमन के खिलाफ ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. वहीं, बड़कोट के सीओ ने इन घटना के बाद चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया है. ऐसे में ग्रामीणों ने अब अपना धरना स्थगित कर दिया है.

purola
ग्रामीणों का विरोध

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Published : Jul 7, 2020, 5:15 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 7:01 PM IST

पुरोला: बीते तीन दिन पहले मठ ग्राम पंचायत में पुरोला पुलिस ने बाप-बेटे को दौड़ा- दौड़ाकर पीटा और उन्हें घायल अवस्था में खेतों में छोड़ दिया. ऐसे में पुलिसिया दमन से गुस्साएं ग्रामीणों ने इस घटना के विरोध में तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू कर आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. वहीं, बड़कोट के सीओ ने अब मामले में पीड़ितों को न्याय का भरोसा दिलाया है. साथ ही आरोपी चारों पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर भी किया गया है.

पुलिसिया दमन के खिलाफ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन.

राजस्व क्षेत्र ग्राम पंचायत मठ में तीन दिन पहले रात करीब 12 बजे 16 साल के श्रवण कुमार अपने पिता के साथ खेतों में रोपाई के लिए पानी लगा रहे थे. तभी चार पुलिसकर्मी बिना वर्दी के सड़क से खेतों में आ घुसे. श्रवण और उसके पिता के साथ बदतमीजी और जाति सूचक शब्दों के साथ मार-पीट करने पर उतारू हो गए. नशे में धुत पुलिस कर्मियों के रवैये को भांपते हुए पीड़ित के पिता ने पुलिस कर्मियों के हाथों से अपने बेटे का हाथ छुड़ाया. अपनी जान बचाने के लिए गांव की ओर भागे तो चारों पुलिसकर्मियों ने उन्हें खेतो में दौड़ा-दौड़ाकर पीटा. जिसके बाद सभी पुलिसकर्मी बाप- बेटे को घायल अवस्था में छोड़ वहां से भाग खड़े हुए.

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वहीं, ग्रामीणों को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. साथ ही प्रशासन के आश्वासन के बाद भी जब दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो फिर से ग्रामीणों ने जुलूस भी निकाला. ऐसे में इस मामले को तूल पकड़ता देख बड़कोट के सीओ ने बीच में हस्तक्षेप कर दोषी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया.

वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस के लिए कोई लॉ एंड ऑर्डर नहीं है. वह दूसरे के क्षेत्र में आकर निर्दोष लोगों के साथ मारपीट कर रहे हैं. आश्वसन के बाद भी दोषी पुलिसकर्मी खुले घूम रहे हैं. ऐसे में खुद को मित्र पुलिस कहने वाली उत्तराखंड पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लाजमी है.

Last Updated : Jul 7, 2020, 7:01 PM IST

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