पुरोला: उत्तरकाशी के पुरोला विकासखंड के सरबडियाड क्षेत्र के आठ गांवों के लोग आजादी के 72 साल बाद भी विकास से कोसो दूर हैं. यहां ग्रामीणों को आज भी पैदल रास्ते, पुल जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली हैं. लोगों को डंडे के सहारे उफनती नदी को पार कर एक गांव से दूसरे गांव जाना पड़ता है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि जनप्रतिनिधि उन्हें मात्र वोट बैंक समझते हैं, चुनाव के बाद न तो वो लोगों को याद रखते हैं और न ही उनसे किये गए वादों को. विकास की किरण से 21वीं सदी में गांव महरूम है.
यहां डंडे के सहारे नदी पार करते हैं ग्रामीण, विकास के नाम पर मिला सिर्फ 'दर्द'
जानिए उत्तरकाशी के पुरोला के एक ऐसे गांव के बारे में जहां लोगों आजतक नहीं देखी सड़क. नदी भी डंडे के सहारे करते हैं पार.
ग्रामीणों का कहना है कि सरबडियाड क्षेत्र के डिगांडी, कसलैं, गौल, छानिका, सर, लेवटाडी जैसे कई गांवों तक पहुंचने के लिए बडियाड गाड पार करना पड़ता है, जिसमें घंटों लग जाते हैं. हर समय उफान में रहने वाली नदी को डंडे के सहारे लोग पार करते हैं. सड़क तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. डिजिटल इंडिया बन रहे भारत में अभी भी पहाड़ के लोगों के सामने 'पहाड़' जैसी समस्याएं हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि वो सालों से गांव के सड़क से जुड़ने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन जनप्रतिनिधियों द्वारा अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. सड़क न होने की वजह से लोगों को पगडंडियों से होकर गुजरना पड़ता है. गांव के बूढ़े-बुजर्गों का कहना है कि उनकी आंखे क्षेत्र का विकास होते हुए देखने के इंतजार में पथरा गई हैं. वो टकटकी लगाये अभी भी उस दिन का इंतजार कर रहे जब विकास बयार उनके गांव में बहेगी.