उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

सड़क सुविधा से वंचित बल्ला गांव, 'रोड नहीं तो वोट नहीं' नारे के साथ धरने पर बैठे ग्रामीण - रोड नहीं तो वोट नहीं

उत्तरकाशी के डुंडा विकासखंड के बल्ला गांव में ग्रामीण 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे के साथ धरने पर बैठ गए हैं. इस गांव में सड़क सुविधा न होने से ग्रामीणों को 7 किलोमीटर पैदल दूरी नापनी पड़ रही है.

सड़क की मांग
सड़क की मांग

By

Published : Sep 25, 2021, 5:08 PM IST

Updated : Sep 25, 2021, 6:06 PM IST

उत्तरकाशीःआजादी के सात दशक बाद भी ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. जिसकी एक बानगी डुंडा विकासखंड के बल्ला गांव में देखने को मिल रहा है. जहां ग्रामीण दशकों से सड़क की राह देख रहे हैं, लेकिन अभी तक उनके गांव में सड़क नहीं पहुंच पाई है. ऐसे में अब ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर आंदोलन पर उतर गए हैं. इतना ही नहीं ग्रामीण गांव के मंदिर परिसर में 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे के साथ धरने पर बैठ गए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा.

दरअसल, डुंडा विकासखंड के ग्राम सभा ओल्या की उपग्राम बल्ला के ग्रामीण गांव के मंदिर परिसर में रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में करीब 300 से 350 की जनसंख्या है, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी गांव सड़क से नहीं जुड़ पाया है. उनका कहना है कि ग्रामीणों को करीब 7 किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर गांव पहुंचना पड़ता है. ऐसे में गांव में अगर कोई बीमार हो जाए तो ग्रामीण उसे डंडी-कंडी के सहारा सड़क तक पहुंचाते हैं. उसके बाद ही मरीज अस्पताल पहुंच पाता है.

बल्ला गांव में सड़क की मांग को लेकर प्रदर्शन.

ये भी पढ़ेंःउत्तरकाशी: आजादी के सात दशक बाद सड़क की मांग पूरी, जल्द शुरू होगा निर्माण

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सड़क सुविधा न होने से सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, बीमार और बच्चों को होती है. साथ ही गांव में सामान आदि पहुंचाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सड़क की मांग को लेकर वो कई नेताओं, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक नुमाइंदों से मुलाकात कर चुके हैं. लेकिन उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. ऐसे में वो कई किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं. ऐसा भी नहीं है कि सड़क निर्माण को लेकर कवायद न हुई हो, सड़क की घोषणा भी हो चुकी है.

ये भी पढ़ेंःधनौल्टीः 4 MLA बदले लेकिन नहीं पहुंची सड़क, ठगे रह गए डुंडा-नकुर्ची के ग्रामीण

2 किमी के बाद सड़क निर्माण भूली सरकारःबल्ला के ग्रामीणों का कहना है कि साल 2002 से लगातार सड़क के लिए संघर्ष करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 7 किमी लंबी सड़क की घोषणा की थी. जिसके बाद प्रथम चरण में सर्वे के पिलर भी लगे, लेकिन फिर सड़क को मात्र जखारी तक 2 किमी में ही समेट दिया गया. जिससे ग्रामीणों खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. इसलिए अब उन्हें मजूबरन आंदोलन करना पड़ रहा है. उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सड़क की मांग पूरी नहीं होती है.

Last Updated : Sep 25, 2021, 6:06 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details