उत्तरकाशी: करीब 20 सालों से पीने के पानी के लिए तरस रहे जामक गांव के ग्रामीणों ने बिना किसी सरकारी मदद के गांव तक पानी पहुंचाया. गांव के ही करीब 50-60 साल के बुजुर्ग अमरा देवी, देवन्द्री राणा, पूर्णि और दिलीप सिंह ने पहले गांव से दूर जंगल में पीने के पानी की स्त्रोत ढूंढ़ा. जिसके बाद इन लोगों ने वो कर दिखाया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. इन लोगों ने खुद के अथक प्रयास से श्रमदान कर जंगल से गांव तक करीब तीन किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई. जिसके बाद गांव वालों को सालों बाद पीने का पानी नसीब हुआ.
इस पाइपलाइन के रख रखाव के लिए गांव की जल समिति प्रत्येक परिवार से 30 रुपये शुल्क वसूलती है. जिससे पानी के टैंकों और लाइन की मरम्मत का काम होता है. इस बहुआयामी योजना को लेकर एक निजी कंपनी ने ग्रामीणों को पाइप लाइनों और टैंक निर्माण के लिए संसाधनों की मदद की थी. जिसके बाद गांव में जल समिति का गठन किया गया. इस समिति का संचालन गांव की महिलाएं करती हैं. यह वही गांव है जहां 1991 के भूकम्प में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था.
गांव वालों ने खुद की मेहनत से तैयार की पाइपलाइन.
ईटीवी भारत की टीम से जामक गांव की ग्रामीण महिलाओं ने पाइप लाइन निर्माण के दौरान की यादें साझा की. बड़े खुश होते हुए महिलाओं ने कहा कि आज उनके गांव में उनकी मेहनत से पानी है. जिसके लिए उन्होंने बरसात, धूप में कड़ी मेहनत की है. जामक गांव की पूर्णि देवी बताती हैं कि एक साल पहले तक उनकी बहू-बेटियों को 2 किमी दूर जाकर सुबह शाम पानी लाना पड़ता था. जिसके बाद भी उन्हें पीने के लिए साफ पानी नसीब नहीं होता था.
गांव की एक अन्य महिला देवन्द्री राणा ने बताया कि गांव के लिए पाइपलाइन निर्माण में गांव के हर परिवार की महिला और कुछ पुरुषों ने श्रमदान किया. जिसके कारण आज ये दिन देखने को मिला है. वहीं सभी ग्रामीणों ने सहयोग करने के लिए निजी कंपनी की जिला टीम का भी धन्यवाद किया है. ग्रामीणों ने बताया कि कंपनी के सहयोग से गांव में 20 हजार और 10 हजार लीटर के दो टैंकों का निर्माण करवाया गया है. जिससे 24 घंटे गांव में पानी की सप्लाई चालू रहती है.
गांव के ही एक अन्य बुजुर्ग बताते हैं कि 2011 के बाद से ग्रामीण पीने के साफ पानी के लिए तरस गए थे. गांव की महिलाओं को पीने के पानी के लिए काफी दूर जाना होता था. जिससे लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं के बुलन्द हौसलों के आगे बड़ी सारी चुनौतियां छोटी पड़ गई. जिसके बात सभी ने गांव तक पाइपलाइन पहुंचाने का फैसला किया. जिसके बाद सभी के अथक प्रयास से आखिर गांव में पीने का साफ पानी मौजूद है.