उत्तरकाशी: अब तक देश के सभी कोनों में रामलीला का पाठ और मंचन हिंदी में ही किया जाता रहा है. अब इस कड़ी में एक नई पहल होने जा रही है. इस वर्ष बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी उत्तरकाशी से रामलीला के सभी पाठ, चौपाई सहित गद्य और पद्य को गढ़वाली लोकबोली में संग्रहित किया जाएगा. इस पुस्तक में गढ़वाली के सांवणी और गंगाड़ी लोकबोली का प्रयोग किया जाएगा. साथ ही गढ़वाली लोकधुनों से इसमें चार चांद लगाये जाएंगे.
श्री रामलीला आदर्श समिति उत्तरकाशी की ओर से प्रदेश में यह पहला अभिनव प्रयोग किया जा रहा है. इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद उत्तरकाशी से ही पूरी रामलीला का मंचन गढ़वाली लोकबोली में किया जाएगा. जिससे कि भविष्य में लोकबोली को देश-विदेश में पहचान दिलाई जा सके.
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श्री रामलीला आदर्श समिति के मुख्य उदघोषक जयेन्द्र सिंह पंवार ने बताया कि पहली बार यह प्रयास किया जा रहा है कि रामलीला के सभी स्वरूपों गद्य,पद्य, चौपाई और डायलॉग को लोकधुनों के साथ गढ़वाली लोकबोली में स्वरबद्ध किया जा रहा है. इस पुस्तक में गढ़वाली लोकबोली के दो मुख्य सावणी और गंगाड़ी बोली का प्रयोग किया जाएगा. यह लोकबोली पहाड़ के अधिकांश क्षेत्रों में बोली जाती है, इसलिए इनका इस्तेमाल किया जा रहा है.