पुरोला:नदियां, जगंल, झरने और प्रकृति की छांव में सुकून के दो पल कौन नहीं बिताना चाहता है? एलपाइन मेडोज ऐसी ही खूबसूरत जगहों में से एक हैं, जो कि उत्तराखंड के उंचाई वाले इलाकों में पाये जाते हैं. उत्तरकाशी के मोरी विकासखंड के सीमांत क्षेत्र भराड़सर इलाके में भी प्रकृति ने कुछ ऐसी खूबसूरती बिखेरी है, जिससे मन तरोताजा हो जाता है. भराड़सर उत्तराखंड और हिमाचल का बॉर्डर एरिया होने के साथ ही चीन सीमा से जुड़ता है, जो कि 17 से 18000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहीं मौजूद है भराड़सर ताल, जिसकी मौजूदगी यहां दैवीय अनूभूति कराती है.
भराड़सर ताल नीलाग बौंधार की गोद में बसा एक स्वर्गिक पावन स्थल है. इस इलाके में पहुंचते-पहुंचते जंगल खत्म हो जाते हैं, अबोहवा बदलने लगती है, पेड़ों की जगह छोटी-छोटी मखमली हरी घास ले लेती है. जिसे अल्पाइन मेडोज कहा जाता है.अल्पाइन मेडोज पहाड़ों में वह घास के मैदान हैं जो इन इलाकों की खूबसूरती को और भी बढ़ा देते हैं. जहां से अल्पाइन मेडोज शुरू होते हैं उस क्षेत्र को टिंबर लाइन या ट्री-लाइन कहा जाता है.
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हिमालय में ट्री-लाइन की ऊंचाई को लेकर विशेषज्ञ बताते हैं कि 3000 से 4000 मीटर के बाद ट्री-लाइन खत्म हो जाती है. जैसे-जैसे इस क्षेत्र में आगे की तरफ बढ़ा जाता है परेशानियां बढ़ने लगती है. यहां ऑक्सीजन लेवल बहुत कम होता है. ट्री लाइन के बाद आप एक ऐसी खूबसूरत दुनिया में होते हैं जहां प्रकृति के सिवाय और कुछ नहीं होता है.
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भराड़सर ताल का ये बुग्याल क्षेत्र सर्दियों में 5 से 6 महीनें बर्फ से ढका रहता है. यहां पाई जाने वाली दुर्लभ वनस्पतियां कई बीमारियों की रामबाण दवा है. स्थानीय लोगों के लिए ये इलाका किसी खजाने से कम नहीं है.
भराड़सर में मौजूद ठंडे पानी का तालाब यहां की एक अलग ही विशेषता है. स्थानीय लोग इसे दैवीय और अध्यात्म से जोड़ते हुए साल में एक बार देव चिह्नों के साथ यहां जरूर पहुंचते हैं. कहा जाता है कि इस तालाब के ठंडे पानी में स्नान करने से कुष्ठ रोग दूर होते हैं. इसके अलावा ये बुग्याल क्षेत्र कई नदियों का उद्गम स्थल भी है.
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