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अध्यात्म और रोमांच का मिश्रण सहस्त्र ताल ट्रैक, जहां कुदरत की बरसती है नेमत - उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल

लोक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में अज्ञात वास के दौरान पांडव द्रौपदी के साथ कुश कल्याण होते हुए सहस्त्र ताल पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने अपने अज्ञात वास के दौरान खेती की थी.

Sahastra Tal track uttarakhand
सहस्त्र ताल ट्रैक

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Published : Sep 7, 2020, 8:19 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 2:46 PM IST

उत्तरकाशी: प्रकृति की नेमत का पहाड़ों में बहुत ही खूबसूरत और शानदार खजाना है. फूलों की घाटी हो या फिर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मखमली घास के मैदान (बुग्याल) हर जगह प्रकृति ने अपनी अद्भुत छटा बिखेरी है. उत्तरकाशी जिले में स्थित सहस्त्र ताल ट्रैक भी इन्हीं में से एक है.

उत्तराखंड में कई प्राकृतिक ताल आज भी रहस्य बने हुए है. इन रहस्यों को जानने के लिए हर साल काफी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते है. प्रकृति को अगर नजदीकी से देखना हो तो एक बार सहस्त्र ताल जरूर आए. करीब 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सहस्त्र ताल पहुंचने के लिए आपको 45 किमी की लंबा सफर पैदल तय करना पड़ता है. 45 किमी लंबे सहस्त्र ताल ट्रैक को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे इसे प्रकृति ने अपने हाथों से संवारा है.

अध्यात्म और रोमांच का मिश्रण सहस्त्र ताल ट्रैक.

पढ़ें-देव क्यारा बुग्याल में दिखती है प्रकृति की अनमोल छटा, सरकार ने भी ट्रैक ऑफ द इयर से नवाजा

सहस्त्र ताल तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को कुश कल्याण और बावनी सहित क्यारकी बुग्याल के अलावा द्रौपदी की धारा, परी ताल और भीमताल को पार करना होता है. यहां की सुंदरता किसी स्वप्नलोक से कम नहीं है. क्यारकी बुग्याल जहां पर बुग्याल में फूलों की क्यारी फैली हुई है. जिसे पांडवों की खेती भी कहा जाता है.

लोक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में अज्ञात वास के दौरान पांडव द्रौपदी के साथ कुश कल्याण होते हुए सहस्त्र ताल पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने अपने अज्ञात वास के दौरान खेती की थी. यहां आज भी भीम का डाबर, द्रौपदी की कांठी, घोड़े और धनुष के निशान मौजूद हैं. साथ ही कहा जाता है कि सहस्त्रताल से पहले परीताल में आज भी परियां स्नान करती हैं. जिन्हें पहाड़ों में आछरियां कहा जाता है. यहीं कारण है कि स्थानीय लोगों की मांग है कि सहस्त्र ताल ट्रैक को विश्व मानचित्र पर जगह दी जाए. क्योंकि यहां पर रोमांच के साथ धार्मिक मान्यताएं और रहस्य आज भी छिपे हुए है.

Last Updated : Sep 27, 2020, 2:46 PM IST

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