उत्तरकाशीः उत्तराखंड के सेब को अपनी पहचान दिलाने के लिए सरकार की मुहिम रंग ला रही है. इस साल उत्तरकाशी जिले के सेब काश्तकारों को उद्यान विभाग की ओर 'उत्तराखंड एप्पल' नाम से दो लाख पेटियां सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई हैं. इतना ही नहीं जिले में उद्यान विभाग की ओर से पहली बार सेब काश्तकारों की मांग पर 150 सेब बागवानों को हाई डेंसिटी की पौध भी दी जा रही है. इसका मकसद सेब उत्पादन में बढ़ोत्तरी करना है.
वहीं, पहली बार 10 लाख वर्ग किमी पर सेब के फलों को ओलों से बचाने के लिए सब्सिडी पर वाइट शेड उपलब्ध करवाए गए हैं. इस सुविधाओं के मिलने पर काश्तकार काफी खुश हैं तो वहीं उत्तराखंड एप्पल के उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद भी बढ़ गई है. साथ ही उत्तराखंड के सेब को अपनी पहचान भी मिलेगी.
बता दें कि उत्तरकाशी जिले में सालाना 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. जिसमें से सबसे ज्यादा उत्पादन आराकोट बंगाण और मोरी क्षेत्र में होता है. यहां पर 10 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है तो बाकी उत्पादन हर्षिल घाटी समेत पुरोला और नौगांव में होता है. उत्तरकाशी के सेब अपनी मिठास और साइज के लिए मंडियों में अलग पहचान रखते हैं. अभी तक काश्तकार हिमाचल के कार्टन (पेटियां) यानी सेब के गत्ते इस्तेमाल करते थे. जिससे यहां के सेब हिमाचल प्रदेश के नाम से बिकती थी. ऐसे में सेब तो उत्तराखंड का होता था और ब्रांडिंग हिमाचल की होती थी.