उत्तरकाशी:टिकोची मार्केट जहां कभी 17-18 दुकानों का बाजार सजता था. करीब एक दर्जन गांव के ग्रामीण टिकोची मार्केट में खरीदारी करते थे. कस्बे के ढाबों पर आज भी बंगाण की अतिथि देवो भव: परम्परा के अनुसार भोजन परोसा जाता था. केंद्र बिंदु होने के कारण टिकोची कस्बे को सेब की यूनियन का कस्बा कहा जाता था. जहां देश की विभन्न मंडियों से ट्रक और पिकअप सेब भरने यहां आते थे. तो यह बाजार सेब के व्यापारियों और काश्तकारों से भी गुलजार हुआ करता था. लेकिन एक रात की जलप्रलय ने टिकोची कस्बे को यादों में मलबे के नीचे दफन कर दिया है. ETV Bharat को मिली तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि भवन मलबे में तब्दील हो गए हैं. रह गए हैं तो भवनों के बोर्ड.
टिकोची मार्केट जो कि प्राकृतिक खूबसूरती के साथ सेब की यूनियन के रूप में आराकोट से लेकर हिमांचल प्रदेश तक प्रसिद्ध था. हर साल इस बाजार में सेब के लाखों करोड़ों का लेन देन होता था, लेकिन किसी ने नहीं जाना कि अपनी विश्व विख्यात परम्परा का यह केंद्र एक दिन मलबे में तब्दील हो जाएगा. कस्बे के सबसे फेमस हीरालाल की किराने की दुकान हो या शुद्ध देशी खाने के लिए मशहूर ढाबे. अब यह अतीत के पन्नों में सिमट कर रह गए हैं. इन दिनों टिकोची कस्बा सेब को मंडियों तक पहुंचाने वाले पिकअप वाहनों और ट्रक से गुलजार रहते थे. लेकिन रविवार का काला दिन कस्बे के हर सपने को दफन कर गया.