उत्तरकाशी:चार धामों में पहले धाम यमुनोत्री के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए आगामी 3 मई को दोपहर 12.15 बजे खुलेंगे. इसी दिन सुबह मां यमुना की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ खरसाली से यमुनोत्री धाम ले जाया जाएगा. ऐसे में आज यमुना जयंती के मौके पर यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने की का मुहूर्त तय किया गया.
आज गुरुवार को मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव स्थित यमुना मंदिर में यमुनोत्री मंदिर समिति एवं तीर्थ पुरोहितों की बैठक हुई, जिसमें यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का मुहूर्त निश्चित किया गया. जिसके अनुसार आगामी 3 मई को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर सुबह 8.30 बजे यमुना जी की डोली खरसाली से यमुनोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेगी. यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि दोपहर 12.15 बजे कर्क लग्न अभिजीत मुहूर्त में यमुनोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे. मां यमुना की डोली को विदा करने के लिए उनके भाई शनिदेव की डोली भी यमुनोत्री धाम जाएगी.
धूमधाम से मनाई गई यमुना जयंती: यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली में यमुना जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस मौके पर यमुना के प्रतीक चिन्हों को जलाभिषेक कराया गया. वहीं, विधिवत पूजा अर्चना के बाद दीपदान भी किया गया. मान्यता है कि चैत्र मास की शुक्ल षष्ठी तिथि को यमुना जी का अवतरण पृथ्वी लोक पर हुआ था. मां यमुना जी के मायके खरसाली में आज सुबह से ही उत्सव का माहौल रहा. क्या बच्चे, क्या बूढ़े, महिलाएं सभी यमुना जी के प्रकट दिवस की पूजा अर्चना के लिये व्यस्त रहे. लोग अपने घरों से घी, दूध, दही लेकर खरसाली पहुंचे.
साथ ही इस मौके पर उच्च हिमालयी क्षेत्र से लाई गई वनस्पति जटामासी, केदारपाती, गुग्गल आदि को पूजन के लिए एकत्र किया. जिसके बाद यमुना जी की भोग मूर्ति को पंचगब्य से स्नान कराया गया। गाय के घी से बने पकवानों का भोग लगाया गया. इस कार्यक्रम के बाद सभी श्रद्धालु यमुना जी के प्रतीक चिन्ह छड़, बल्लम को लेकर यमुना नदी को ओर बढ़े. जिसके बाद यमुना नदी में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने पुन: पूजा अर्चना और हवन किया.