उत्तरकाशी: बाबा काशी विश्वनाथ के मंदिर विश्व में दो ही स्थानों पर मौजूद हैं. जिनमें पहला मंदिर बनारस तो दूसरा उत्तरकाशी में स्थित है. पुराणों में उल्लेख है कि कलयुग में भगवान काशी विश्वनाथ स्वयंभू लिंग के रूप में उत्तरकाशी में विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां जो भी भक्त वरुणावत की तलहटी में बसे बाबा काशी विश्वनाथ की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है उसकी हर मनोकामना को पूर्ण होती है.
उत्तरकाशी में मौजूद बाबा काशी विश्वनाथ को औघड़ दानी भी कहा जाता है. उत्तरकाशी में बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान का स्वयंभू लिंग दक्षिण दिशा की ओर झुका हुआ है. साथ में मां शक्ति का त्रिशूल भी भगवान शिव के साथ है.
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इदम काशी तदम काशी मतभेद पुरी वर्जियते, स्कंद पुराण के केदारखंड में उल्लेख है कि बनारस भगवान शिव की प्राचीन काशी मानी जाती है. वहीं भगवान शिव ने कहा था कि कलयुग में हिमालय के वरुणावत पर्वत की तलहटी में वरुणा और अस्सी गंगा के मध्य गंगा के किनारे विराजमान रहेंगे. इसलिए कलयुग में उत्तर की काशी उत्तरकाशी का अपना एक विशेष महत्व है.