उत्तरकाशीः कहते हैं कि शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता, इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं शिक्षक पीएल सेमवाल. जो एक भूतपूर्व सैनिक भी रहे हैं. उन्होंने कारगिल युद्ध में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी. मार्च 2023 में सेवानिवृत्त होने के बाद भी दुर्गम क्षेत्र के विद्यालय में निशुल्क बच्चों को पढ़ा रहे हैं. उन्हें पढ़ाते हुए 9 महीने हो गए हैं. ऐसे में लोग उनके मुरीद हो गए हैं.
बता दें कि सेना में रहने के दौरान पीएल सेमवाल ने कैप्टन विक्रम बत्रा की बटालियन 13 जम्मू कश्मीर राइफल्स में साल 1999 में कारगिल युद्ध भी लड़ा था. साल 2011 में शिक्षा विभाग में प्रवक्ता पद चयन होने के बाद उन्होंने उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती ब्लॉक मोरी के राजकीय इंटर कॉलेज नैटवाड़ में अध्यापन का कार्य किया. उन्होंने 2011 से मार्च 2023 तक करीब 12 सालों तक शिक्षण सेवा की. इस दौरान करीब 9 साल तक प्रभारी प्रधानाचार्य भी रहे.
उन्होंने अपने कार्यकाल में विद्यालय में प्रभारी प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी संभाली. इसके अलावा उन्होंने अर्थशास्त्र के साथ प्रवक्ता स्तर पर कक्षा 11 और 12वीं तक लगातार संस्कृत भी पढ़ाई. ज्यादा छात्र संख्या होने के बावजूद स्कूल का बेहतर परीक्षा परिणाम दिया. इसके अलावा छोटी कक्षाओं में भी अंग्रेजी और संस्कृत पढ़ाया. अपने 12 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कक्षा 12वीं के छात्रों को रविवार और अवकाश के दिनों में भी 2-2 घंटे अतिरिक्त कक्षाएं लेकर पढ़ाया.
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इसका परिणाम ये हुआ कि जो अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए बाहर भेजते थे, उन्होंने न केवल बाहर भेजना बंद किया, बल्कि बाहर भेजे हुए बच्चों का वापस बुलाकर सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाया. यही वजह थी कि साल 2011 में छात्र संख्या 400 थी. जो बढ़कर 2023 में 675 तक हो गई. जबकि, साल 2014 में दो हाईस्कूल दोणी और सांकरी इंटरमीडिएट कॉलेज में उच्चीकृत हो गए, लेकिन विद्यालय की छात्र संख्या घटने के बजाय बढ़ती गई. बता दें कि जीआईसी नैटवाड़ साल 2021 में अटल उत्कृष्ट विद्यालय बन चुका है.
जहां एक तरफ सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या लगातार घट रही है तो वहीं राजकीय इंटर कॉलेज नैटवाड़ में छात्र संख्या में इजाफा होता गया. पीएल सेमवाल मार्च 2023 में रिटायर हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद वे बीते 9 महीने से अभी भी स्कूली में निशुल्क अध्यापन का काम कर रहे हैं. उनके इस कार्य की स्थानीय लोग जमकर सराहना कर रहे हैं. इतना ही नहीं कभी-कभी राजकीय महाविद्यालय मोरी में भी पढ़ाने के लिए जाते हैं. क्योंकि, वहां अर्थशास्त्र विषय के प्राध्यापक ही नहीं हैं.