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गौरैया दिवस: छात्रों ने पेड़ों पर लगाए घोंसले, लोगों को किया जागरूक

उत्तरकाशी में विश्व गौरैया दिवस पर छात्रों ने पेड़ों के ऊपर घोंसले लगाए और गौरैया संरक्षण का संदेश दिया. वहीं, दूसरी तरफ गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के स्वामी हरिहरानंद स्कूल में गौरैया संरक्षण विषय पर आयोजित जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया.

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Published : Mar 20, 2022, 7:14 PM IST

world sparrow day
विश्व गौरैया दिवस

उत्तरकाशी/हरिद्वार:विश्व गौरैया दिवस पर गंगा विश्व धरोहर मंच की ओर से राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी के छात्रावास में वृक्षों के ऊपर घोंसले लगाकर विश्व गौरैया दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम के संयोजक डॉ. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने बताया कि इस वर्ष की थीम 'आई लव स्पैरो' है जिसका उद्देश्य गौरेया संरक्षण हेतु लोगों ध्यान आकर्षित करना है.

दुनिया भर में गौरैया की 26 प्रजातियों में से 5 भारत में पाई जाती हैं. यह 'पासेराडेई' परिवार की सदस्य है. इनकी घटती आबादी को देखते हुए इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर इसे संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल कर चुकी है. गौरैया के बच्चों का भोजन शुरूआती कुछ दिनों में सिर्फ कीड़े-मकोड़े (अल्फा और कटवर्म नामक कीड़े) होता है, जो हमारी फसलों के लिए हानिकारक होते हैं. लेकिन आजकल लोग खेतों से लेकर अपने गमले के पेड़-पौधों में भी रासायनिक पदार्थों का खूब उपयोग करते हैं. जिससे उनके बच्चों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता. साथ ही साथ, जहां कंक्रीट की संरचनाओं के बने घरों की दीवारें घोंसले को बनाने में बाधक हैं.

वहीं घर, गांव की गलियों का पक्का होना भी इनके जीवन के लिए घातक है, क्योंकि ये स्वस्थ रहने के लिए धूल स्नान करना पसंद करती हैं, जो नहीं मिल पा रहा है. टेलीफोन टावरों से निकलने वाली तरंगें व ध्वनि प्रदूषण भी गौरैया की घटती आबादी का एक प्रमुख कारण है.
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गौरैया संरक्षण कार्यक्रमः गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के आउटरीच कार्यक्रम के अंतर्गत कनखल स्थित स्वामी हरिहरानंद स्कूल में गौरैया संरक्षण विषय पर आयोजित जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया. कार्यक्रम के संयोजक व अंतरराष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने गौरैया पर शोधपरक जानकारी प्रस्तुत करते हुए बताया कि उनकी शोध टीम उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश एवं सिक्किम के विभिन्न फील्ड स्टेशन पर गौरैया के संरक्षण लिए निरंतर शोधरत है.

प्रोफेसर भट्ट ने पावर प्वॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि अधिकांश शहरी क्षेत्रों में गौरैया की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि, पर्वतीय एवं ग्रामीण अंचलों में अभी भी गौरैया की स्थिति इतनी चिंतनीय नहीं है. प्रोफेसर भट्ट ने जानकारी दी कि शहरी क्षेत्रों में हरित आवरण व झाड़ियों का अभाव गौरैया के लिए संकट पैदा कर रहा है. उन्होंने बताया कि पेड़ पौधों पर मिलने वाले विभिन्न कीटों से गौरैया अपने बच्चों का पेट भरती है तथा उन झाड़ियों के अंदर वह रात्रि विश्राम करती है, परंतु हरित क्षेत्र की कमी से गौरैया का अस्तित्व प्रभावित हो रहा है.

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