उत्तरकाशीः पहाड़ के लोगों और प्रकृति के बीच एक बहुत ही भावनात्मक व गहरा संबंध युगों-युगों से चला आ रहा है. आज भी पहाड़ में हर खुशी के मौके पर पेड़ पौधों और मवेशियों की पूजा अर्चना की जाती है. जीव समेत फसलों की सुख समृद्धि के लिए देवी देवताओं की पूजा की जाती है. ऐसे ही गहरे संबंध का प्रतीक है, उत्तरकाशी जिला के सीमांत ब्लॉक भटवाड़ी के रैथल समेत पांच गांवों (Sheep fair celebrated in Raithal village) में मनाया जाने वाला भेड़ मेला. जिसे ग्रामीण हर साल धूमधाम और उत्साह से मनाते हैं. यह मेला भगवान सोमेश्वर देवता के सानिध्य में मनाया जाता है.
भेड़ों के मेले को मनाने के पीछे मान्यता है कि इस क्षेत्र के ग्रामीणों की भेड़ 6 महीने तक जंगलों के बुग्याल में चरने के लिए जाती हैं. जबकि, सितंबर महीने से ऊंचाई वाले बुग्यालों में अत्यधिक ठंड होने के कारण भेड़ ग्रामीण क्षेत्रों में वापस लौटने लगती हैं. भेड़ 6 महीने तक अच्छी चारा पत्ती चुगती हैं. सर्दियों यानी पतझड़ के मौसम में भेड़ गांवों में लौट आती हैं तो ग्रामीण भेड़ों के आने की खुशी और क्षेत्र की सुख समृद्धि के लिए पुरातन काल से इसको भेड़ों के मेले (Sheep Fair in Uttarkashi) के रूप में मनाते हैं. जिसकी रौनक देखते ही बनती है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार क्षेत्र के आराध्य भगवान सोमेश्वर देवता (Someshwar Devta Uttarkashi) खुद भी एक भेड़ पालक थे. ग्रामीण क्षेत्र की सुख समृद्धि के लिए सोमेश्वर देवता की पूजा अर्चना करते हैं. इस दौरान महिलाओं समेत अन्य लोग रासो तांदी नृत्य करते हैं. बता दें कि प्रदेश सरकार की ओर से भेड़ पालकों को प्रोत्साहन (Uttarakhand Sheep Farming) न देने और ऊंचाई वाले इलाकों में ज्यादा कठिनाई होने के कारण भेड़ पालन व्यवसाय में लगातार गिरावट आ रही है.