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शेडकुडिया महाराज मेला: रस्सी पर देव पश्वा को नृत्य करते देख श्रद्धालु हुए अचंभित - पुरोला की खबर

हर पांच साल में शेडकुडिया महाराज के जागरे का आयोजन होता है. जिसमें हिमाचल और उत्तराखंड के करीब 25 गांवों के लोग हिस्सा लेते हैं.

शेडकुडिया महाराज के जागरे का किया गया आयोजन

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Published : Sep 5, 2019, 12:51 PM IST

पुरोला:नगर के मोरी के फतेपर्वत में हर पांच साल बाद लगने वाले शेडकुडिया महाराज के जागरे का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. जिसमें ग्रामीणों ने अपने पौराणिक देव चिन्हों के साथ मन्दिर के प्रांगण में जमकर नृत्य किया. इस मौके पर रस्सी पर नृत्य करता देव पश्वा मुख्य आर्कषण का केंद्र रहा.

शेडकुडिया महाराज के जागरे का किया गया आयोजन

बता दें कि फते पर्वत के दौणी में हर पांच साल में शेडकुडिया महाराज के जागरे का आयोजन होता है. जिसमें हिमाचल और उत्तराखंड के करीब 25 गांवों के लोग हिस्सा लेते हैं. ढोल की थाप पर पौराणिक देव चिन्हों को लेकर थिरकने के लिए सैकड़ों लोग दौणी गांव पहुंचे थे. जहां क्षेत्र के ईष्ट देव शेडकुडिया महाराज के दर्शन कर मेले में मुख्य आकृष्ण का केंद्र देव पश्वा ऊंचाई पर बंधे ऊन की रस्सी पर नृत्य करता है, जिसमें पश्वा देव चिन्ह के साथ सतुंलन बनाकर एक इंच मोटी रसी पर नृत्य करता है. जिसे देखकर हर कोई अभिभूत हो जाता है.

वैसे तो रवांई घाटी अपनी पौराणिक संस्कृति के लिये अनूठी पहचान बनाये हुये है. यहां का रहन-सहन, बोली भाषा, पहनाव और संस्कृति शोधार्थियों को अपनी ओर आकर्षित करती है. ऐसे में पौराणिक संस्कृति में शोध करने वालों के लिए रवांई घाटी किसी अजूबे से कम नहीं है. लेकिन बदलते दौर और परिवेश के साथ सरकार का उदासीन रवैया इन मेलों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने में नाकाम हो रहा है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इन मेलों को पौराणिक पर्यटन के रुप में विकसित और प्रचारित करे.

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