देहरादून:राजधानी देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी किस तरह से पूरे सरकारी सिस्टम पर हावी है. इसका ताजा उदाहरण मंगलवार को सामने आया. आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने केजी क्लास के छात्र को बदले की भावना से निष्कासित कर दिया. बच्चे के पिता ने इस मामले की शिकायत बाल आयोग से की है. बाल आयोग ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी को जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं.
दरअसल, 12 मई 2019 को प्रेमनगर थाना क्षेत्र के भाऊवाला गांव में स्थित दून हेरिटेज स्कूल की बस से केजी क्लास छात्र गिर गया था. जिससे उसके चेहरे पर गंभीर चोट आई थी. उस समय स्कूल प्रबंधन पर आरोप भी लगा था कि उन्होंने इस मामले को दबाने की कोशिश की. वहीं मीडिया में खबर आने बाद बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने इस मामले का संज्ञान लिया था.
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इस मामले में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही पर 23 मई को थाना प्रेम नगर में किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था. आयोग ने इस मामले में सीबीएसई बोर्ड व परिवहन विभाग से घटना की शिकायत भी की थी. जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने सीबीएसई बोर्ड व परिवहन विभाग को एक शपथ पत्र दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा और भविष्य में इस तरह की गलती नहीं दोहराई जाएगी. लेकिन अब बच्चे के पिता का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने बदले की भावना से बिना नोटिस दिए उनके बेटे को निकाल दिया है.
छात्र के पिता ने बाल संरक्षण आयोग से इसकी शिकायत भी की है. जिसके बाद बाल संरक्षण आयोग ने देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र द्वारा निर्देशित करते हुए इस मामले की जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.
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उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारी को 5 बिंदुओं पर स्कूल के दस्तावेजों के अनुसार जांच करते हुए 15 दिनों में रिपोर्ट प्रेषित करने का आदेश गया है.
- विद्यालय को संचालित करने वाली संस्था या ट्रस्ट का पंजीकृत प्रमाण पत्र व स्कूल की नियमावली के अनुसार उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
- स्कूल को आयकर विभाग द्वारा प्रद्धत प्रमाण पत्र की प्रति एवं धारा 12 (क) के अंतर्गत दिए गए उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
- स्कूल को राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा प्रद्धत अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रति एवं उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
- स्कूल को सीबीईएसई या आईसीएससी बोर्ड द्वारा प्रद्धत अनापत्ति प्रमाण पत्र व नियमावली के उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
- बालक के अभिभावकों की बिना सहमति स्कूल से निष्कासन के संबंध में नियमानुसार जांच.