उत्तरकाशीः ऐतिहासिक माघ मेला यानी बाड़ाहाट कु थौलू में नरु-बिजोरा पर आधारित नाटक का मंचन देख दर्शक अभिभूत हो गए. संवेदना समूह के कलाकारों ने उत्तरकाशी जिले के वीर भड़ दो भाई नरु-बिजु समेत नरु-बिजोरा की प्रेमगाथा पर आधारित नाटक का मंचन किया. इसके अलावा गंगा अवतरण की नृत्य नाटिका की प्रस्तुति भी देखने को मिली. नरु-बिजु दो भाइयों की वीरता और प्रेम गाथा है. जिसे लेकर उत्तरकाशी में भयानक युद्ध हुआ था.
उत्तरकाशी माघ मेला की छठवीं सांस्कृतिक संध्या नाटक और नृत्य के रंगमंच के लिए प्रसिद्ध संस्था संवेदना समूह के कलाकारों के नाम रही. जिसमें उत्तरकाशी के दो वीर भड़ भाई नरु-बिजु की वीरता पर आधाारित नाटक का जबरदस्त मंचन किया गया. नाटक में नरु और बुजुला के प्रेमकथा की शुरुआत बाड़ाहाट के थौलू से होती है. जहां पर नरु उस समय की प्रथाओं के विपरीत जाकर बिजोरा से शादी करते हैं और उसके बाद बिजोरा के गांव और क्षेत्र के लोगों की ओर से इसका विरोध किया जाता है.
जिसके बाद गीठ पट्टी और तिलोथ समेत आसपास के क्षेत्र के लोगों का युद्ध होता है, लेकिन उसके बाद बिजोरा और अन्य लोगों के बीच बचाव के साथ युद्ध समाप्त होता है. साथ ही नाटक में गिठियों की पंचायत और नरु-बिजोरा के संवाद, बाड़ाहाट का थौलू का दृश्य समेत इंद्रावती की गाड़ से नहर बनाने के दृश्य ने दर्शकों का जमकर मन मोहा.
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