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उत्तरकाशी टनल हादसे की प्राथमिक रिपोर्ट आई सामने, सुरक्षा मानकों को लेकर हुये कई खुलासे, नियमों की भी हुई अनदेखी

Silakyara Tunnel Accident, Silakyara Tunnel Accident Report केन्द्र की टीम ने सिलक्यारा सुरंग हादसे की प्राथमिक जांच रिपोर्ट सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सौंप दी है. जिससे सुरंग निर्माण की कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड) और निर्माण कंपनी में हड़कंप मचा हुआ है. जानें हादसे के पीछे क्या थे कारण..

Silakyara Tunnel Accident
उत्तरकाशी टनल हादसे की प्राथमिक रिपोर्ट आई सामने

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 24, 2023, 10:10 PM IST

Updated : Dec 24, 2023, 10:17 PM IST

उत्तरकाशी:निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग हादसे की प्राथमिक जांच रिपोर्ट विशेषज्ञों ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सौंप दी है. जिसमें शियर जोन में गलत अलाइनमेंट का चुनाव, पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए बिना प्रोजेक्ट की रि-प्रोफाइलिंग करना और पिछले हादसों से सबक न लेने का कारण बताया गया है. बता दें कि बीते 13 दिसंबर को छह सदस्यीय केंद्रीय जांच टीम सिलक्यारा पहुंची थी. जिसने तीन दिन तक हादसे के पीछे के कारणों की गहनता से पड़ताल की थी और उसके बाद 15 दिसंबर को टीम वापस दिल्ली लौटी थी.

सुरंग के अंदर सेंसर और उपकरणों की थी कमी:सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माण कंपनी को कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल द्वारा नियुक्त प्राधिकारी इंजीनियर से काम करने की पद्धति की अनुमति नहीं मिली थी. सुरंग के अंदर सेंसर और उपकरणों की भी कमी थी. सेंसर और उपकरणों रि-प्रोफाइलिंग के दौरान जमीन के व्यवहार पर नजर रखते हैं. जिससे समय रहते जरूरी सावधानी बरती जा सके. इसके अलावा रिपोर्ट में एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों द्वारा सुरंग निर्माण कार्य की आवश्यक निगरानी नहीं करने की बात भी सामने आई है.

उत्तरकाशी में चला देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन

12 नवंबर को हुआ था सुरंग हादसा:सुरंग निर्माण में फाइनल लाइनिंग से पूर्व किसी भी तरह की विकृति जैसी विसंगतियों की मरम्मत के लिए री-प्रोफाइलिंग जरूरी होती है, लेकिन सुरंग में री-प्रोफाइलिंग जरूरी होने के बाद भी खोदाई के तुरंत बाद यहां प्रॉपर सपोर्ट सिस्टम प्रदान नहीं किया गया. यह बात भूस्खलन वाले हिस्से में गार्टर रिब की जगह सरियों का रिब लगाने से उजागर हुई थी. बता दें कि 12 नवंबर को सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन हुआ था. जिससे 41 मजदूर सुरंग में फंस गए थे, जिन्हें सकुशल बाहर निकाल लिया गया था.

यहां फंसे थे श्रमिक

क्या होता है शियर जोन:वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून से सेवानिवृत्त भू-वैज्ञानिक डॉ.सुशील कुमार ने बताया कि शियर जोन किसी भी चट्टान के सबसे संवेदनशील क्षेत्र होते हैं. जिसमें निर्माण के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि तकनीकी के दौर में शियर जोन में भी निर्माण संभव है, लेकिन इसके लिए शियर जोन में खोदाई करते समय उसकी पैकिंग याने की ट्रीटमेंट आवश्यक होता है.

उत्तरकाशी में पहाड़तोड़ रेस्क्यू ऑपरेशन

पहले भी कई बार हुआ था भूस्खलन:सफल रेस्क्यू के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने सिलक्यारा सुरंग में पहले भी करीब 21 बार भूस्खलन होने की बात कही थी, लेकिन इसके बावजूद भी पहले के हादसों से सबक नहीं लिया गया. जिसके चलते 41 मजदूर की जान खतरे में आ गई थी.

टनल में फंसे थे 41 श्रमिक

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सुरंग केंद्र स्थापित करने की सिफारिश:जांच रिपोर्ट में भविष्य में इस तरह के हादसों से बचाव के लिए सड़क और रेलवे के लिए एक सुरंग केंद्र स्थापित करने की सिफारिश की गई है. साथ ही सुरंग सुरक्षा के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) विकसित करने और विशेष रूप से हिमालय क्षेत्र में परियोजना निर्माण के लिए एक भूवैज्ञानिक सहयोगात्मक मंच विकसित करने पर भी जोर दिया गया है.

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Last Updated : Dec 24, 2023, 10:17 PM IST

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