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उत्तरकाशी: पहली बार गढ़वाली बोली में हो रहा रामलीला का मंचन, रासी तांदी नृत्य ने मोहा मन - Ramlila

उत्तरकाशी में श्री आदर्श रामलीला समिति की ओर से पहली बार 'गढ़वाली बोली मा रामलीला' का मंचन किया जा रहा है. ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी भाषा का महत्व समझ सके.

Ramlila staged in Garhwali language
Ramlila staged in Garhwali language

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Published : Oct 4, 2021, 11:14 AM IST

Updated : Oct 4, 2021, 11:30 AM IST

उत्तरकाशी:श्री आदर्श रामलीला समिति उत्तरकाशी की ओर से पहली बार गढ़वाली बोली में रामलीला का मंचन किया जा रहा है. जिसमें सभी छंद, चौपाय और डायलॉग गढ़वाली बोली में लिखकर उनका सुंदर संवाद किया जा रहा है. रामलीला समिति का कहना है कि आज जहां हमारी भावी पीढ़ियां लगातार अपने लोकबोली से कहीं दूर होती जा रही है, तो रामलीला को गढ़वाली में पूरी तरह परिवर्तित कर यह प्रयास किया गया है. ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने इस सुंदर बोली को संजोए रखे. साथ ही इस रामलीला मंचन के बाद इसे गढ़वाली में पुस्तक का रूप दिया जाएगा.

पहली बार गढ़वाली बोली में हो रहा रामलीला का मंचन.

उत्तरकाशी में आयोजित 'गढ़वाली बोली मा रामलीला' के चौथे दिन दर्शकों ने राम-सीता विवाह में सम्मिलित होकर आशीर्वाद लिया. इस मौके पर वरुणाघाटी के ग्राम सभा साल्ड की महिला मंगल दल की महिलाओं ने अध्यक्ष विजया महर के नेतृत्व में ढोल दमाऊं की थाप पर लोक गीतों पर रासो तांदी नृत्य का आयोजन कर समा बांध दिया. साथ ही स्थानीय महिलाओं का रासो तांदी नृत्य राम-सीता विवाह पर सबसे आकर्षण का केंद्र रहा.

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श्री आदर्श रामलीला समिति उत्तरकाशी के संयोजक जयेंद्र पंवार और संरक्षक रमेश चौहान ने बताया कि रामलीला को गढ़वाली में शुरू करने के लिए पांच कार्यशालाओं का आयोजन किया गया. साथ ही इस मंचन के बाद रामलीला को पुस्तक का स्वरूप दिया जाएगा. वहीं, प्रयास रहेगा कि 'गढ़वाली बोली मा रामलीला' की तरह की पुस्तक के माध्यम से हमारी बोली देश के हर कोने तक पहुंच सके.

Last Updated : Oct 4, 2021, 11:30 AM IST

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