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BJP विधायक के खिलाफ तहरीर देना पुरोला SDM को पड़ा भारी, गढ़वाल कमिश्नर ऑफिस से अटैच - गढ़वाल कमिश्नर ऑफिस से अटैच

शनिवार को पुरोला एसडीएम सोहन सिंह सैनी ने बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल के खिलाफ तहरीर दी थी, जिसको लेकर उन पर गाज गिरी है. मामले का संज्ञान लेते हुए शासन ने एसडीएम को कमिश्नर गढ़वाल ऑफिस अटैच किए जाने के आदेश दिए हैं. एसडीएम का वेतन अब कमिश्नर पौड़ी कार्यालय से ही जारी होगा.

Purola SDM attached to Commissioner Garhwal office
पुरोला SDM पर गिरी गाज

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Published : May 29, 2022, 7:47 PM IST

उत्तरकाशी: पुरोला से बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल के खिलाफ तहरीर देने वाले एसडीएम सोहन सिंह सैनी को शासन ने हटा दिया है. एसडीएम ने विधायक पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए तहरीर दी थी. विवाद बढ़ने पर शासन ने एसडीएम को कमिश्नर गढ़वाल ऑफिस अटैच किए जाने के आदेश दिए.

बता दें कि पुरोला एसडीएम और बीजेपी विधायक के बीच विवाद चल रहा था. मामले में सोहन सिंह सैनी ने कल पुरोला थाने में विधायक के खिलाफ तहरीर दी थी. एसडीएम ने विधायक दुर्गेश्वर लाल पर जान से मारने की धमकी देने और छवि धूमिल करने सहित एससी/एसटी ऐक्ट में केस दर्ज कराने की धमकी देने का आरोप लगाया था. साथ ही एसडीएम ने पुरोला बाजार में अभद्रता करने और समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर छवि खराब करने का आरोप लगाया था.

पुरोला SDM कमिश्नर गढ़वाल ऑफिस में किया गया अटैच

ये भी पढ़ें:पुरोला एसडीएम ने BJP विधायक से बताया जान का खतरा, दुर्गेश्वर लाल के खिलाफ थाने में दी तहरीर

विधायक, एसडीएम के बीच का ये विवाद सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. बीजेपी विधायक के समर्थक एसडीएम के खिलाफ मोर्चा खोले रहे. एसडीएम द्वारा विधायक के खिलाफ ही तहरीर देने से खासी किरकिरी हो रही है. मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन स्तर से डैमेज कंट्रोल के प्रयास शुरू किए गए हैं.

रविवार दोपहर बाद कार्मिक विभाग की ओर से एसडीएम को हटाने के आदेश जारी कर दिए गए. उन्हें किसी नई तहसील की जिम्मेदारी देने की बजाय सीधे कमिश्नर गढ़वाल कार्यालय पौड़ी से अटैच करने के आदेश दिए गए हैं. एसडीएम का वेतन अब कमिश्नर पौड़ी कार्यालय से ही जारी होगा.

पुरोला SDM पर गिरी गाज

वहीं, मामले में कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा इन जनप्रतिनिधियों के ऊपर सत्ता की हनक सिर चढ़कर बोल रही है कि यह एसडीएम और डीएम को अपना गुलाम समझने लगे हैं. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि एक अधिकारी, जिसकी रूलबुक के हिसाब से वह अपनी सरकार के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बयान नहीं दे सकता. फिर भी एसडीएम कितने मजबूर रहे होंगे कि उनको बाहर निकल कर आना पड़ा और अपने क्षेत्र के ही विधायक के खिलाफ तहरीर देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

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