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पायलट बाबा के आश्रम को लेकर उत्तरकाशी में भी था विवाद, पत्रकारों से मारपीट का भी लग चुका है आरोप

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बाबा ने उनकी जमीन पर अवैध कब्जा किया है. जिस पर शासन-प्रशासन मौन रहा था, लेकिन उसके बाद एक दिन जिले के स्थानीय पत्रकार लोगों की शिकायत पर पायलट बाबा के आश्रम में जानकारी जुटाने पहुंचे थे. जहां पर पायलट बाबा के आश्रम के प्रबंधक और सुरक्षा कर्मियों ने मारपीट की.

पायलट बाबा का आश्रम.

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Published : Apr 13, 2019, 2:26 PM IST

उत्तरकाशीः विवादों में चल रहे पायलट बाबा का उत्तरकाशी से काफी पुराना नाता रहा है. पायलट बाबा का गंगोत्री हाईवे पर कुमाल्टी में आश्रम भी है. जिसे लेकर ग्रामीणों ने बाबा पर उनके भूमि पर कब्जा करने का आरोप लगाया था. इस दौरान पायलट बाबा के आश्रम में पत्रकारों के साथ भी मारपीट हुई थी. जिसे लेकर पत्रकारों ने पायलट बाबा के खिलाफ 89 दिन का धरना दिया था. जिसके बाद प्रदेश में तत्कालीन खंडूड़ी सरकार ने पायलट बाबा के अतिक्रमण वाले हिस्से को तुड़वाया था. वहीं, पायलट बाबा पर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के आरोप भी लगते रहे हैं.

उत्तरकाशी में पायलट बाबा का आश्रम.

बता दें कि पायलट बाबा ने बीते 2007 में उत्तरकाशी के सैंज कुमाल्टी में गंगोत्री हाई-वे के नजदीक अपना आलीशान आश्रम खड़ा किया था. जिसमें स्थानीय लोगों को जाने की अनुमति नहीं दी गई. उस दौरान ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बाबा ने उनकी जमीन पर अवैध कब्जा किया है. जिस पर शासन-प्रशासन मौन रहा था, लेकिन उसके बाद एक दिन जिले के स्थानीय पत्रकार लोगों की शिकायत पर पायलट बाबा के आश्रम में जानकारी जुटाने पहुंचे थे. जहां पर पायलट बाबा के आश्रम के प्रबंधक और सुरक्षाकर्मियों ने मारपीट की. जिसके बाद पत्रकार जिला मुख्यालय में पायलट बाबा के खिलाफ और अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए थे.

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वरिष्ठ पत्रकार सूरत सिंह रावत ने बताया कि पत्रकारों का धरना 89 दिन चला था. जिसे राजनीतिक समेत सामाजिक संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया था. पत्रकारों के धरने के आगे तत्कालीन खंडूड़ी सरकार को झुकना पड़ा था. तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने पत्रकारों को आश्वासन दिया कि पायलट बाबा का अतिक्रमण तोड़ा जाएगा. जिस पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए पायलट बाबा के आश्रम के अतिक्रमण को तोड़ा था.

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