देहरादून: 17 दिनों की लंबी जद्दोजहद के बाद 28 नवंबर रात को करीब आठ बजे उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा टलन में फंसे सभी 41 मजदूरों का सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान चली रही गहमा-गहमी के बीच एक छोटे से मंदिर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. ये मंदिर बाबा बौखनाग देवता का है. देश-विदेश से आए एक्सपर्ट्स हों या खुद सीएम धामी, केंद्रीय मंत्री और अधिकारी, सभी को इस मंदिर में माथा टेकते हुए देखा गया है. इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स की उस वीडियो ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा जिसमें वो सुबह बौखनाग देवता के मंदिर में पूजा करते नजर आ रहे हैं.
स्थानीय लोगों का मानना था कि जिस स्थान पर सुरंग का निर्माण किया जा रहा है वहां प्रोजेक्ट के कारण बौखनाग देवता के प्राचीन मंदिर को हटा दिया गया था, इसलिए बौखनाग देवता के प्रकोप से ही निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में ये हादसा हुआ था. यही कारण रहा कि टनल में 41 मजदूरों के फंसने के बाद टनल के ठीक बाहर ग्रामीणों की मांग पर बौखनाग देवता के नाम का एक छोटा सा मंदिर स्थापित किया गया और तब से लगातार मंदिर में पूजा अर्चना की जाने लगी. यहां तक कि सभी श्रमिकों के सफल रेस्क्यू के बाद खुद सीएम धामी ने अपने पोस्ट में बाबा बौखनाग को नमन किया और बाबा बौखनाग मंदिर निर्माण कार्य जल्द शुरू किए जाने की बात भी कही.
ग्रामीणों का मानना है कि बौखनाग देवता के आशीर्वाद के कारण ही ये रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हो पाया. स्थानीय लोगों ने 28 नवंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने से तीन दिन पहले ही कह दिया था कि बौखनाग देवता ने रेस्क्यू पूरा होने के संकेत दे दिए है और तीनों दिनों के अंदर रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो जाएगा, जो सही साबित हुआ.
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