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कौन हैं बौखनाग देवता जहां सीएम, मंत्री, एक्सपर्ट्स रोज टेकते थे माथा, टनल रेस्क्यू के दौरान ये मंदिर चर्चा में आया, जानें मान्यताएं - उत्तरकाशी लेटेस्ट न्यूज

Temple of Baba Bokh Naag Devta News Uttarkashi Tunnel उत्तरकाशी सिल्कयारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सुरंग के बाहर बनाए गए बौखनाग देवता के मंदिर ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा. यहां रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे तमाम एजेंसियों के एक्सपर्ट रोज माथा टेकते थे, उसके बाद वो अपना रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करते थे. आज उन्हीं बौखनाग देवता के बारे में हम आपको बताते हैं, जिनका आशीर्वाद इसे पूरे क्षेत्र में माना जाता है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 29, 2023, 5:57 PM IST

देहरादून: 17 दिनों की लंबी जद्दोजहद के बाद 28 नवंबर रात को करीब आठ बजे उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा टलन में फंसे सभी 41 मजदूरों का सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान चली रही गहमा-गहमी के बीच एक छोटे से मंदिर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. ये मंदिर बाबा बौखनाग देवता का है. देश-विदेश से आए एक्सपर्ट्स हों या खुद सीएम धामी, केंद्रीय मंत्री और अधिकारी, सभी को इस मंदिर में माथा टेकते हुए देखा गया है. इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स की उस वीडियो ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा जिसमें वो सुबह बौखनाग देवता के मंदिर में पूजा करते नजर आ रहे हैं.

स्थानीय लोगों का मानना था कि जिस स्थान पर सुरंग का निर्माण किया जा रहा है वहां प्रोजेक्ट के कारण बौखनाग देवता के प्राचीन मंदिर को हटा दिया गया था, इसलिए बौखनाग देवता के प्रकोप से ही निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में ये हादसा हुआ था. यही कारण रहा कि टनल में 41 मजदूरों के फंसने के बाद टनल के ठीक बाहर ग्रामीणों की मांग पर बौखनाग देवता के नाम का एक छोटा सा मंदिर स्थापित किया गया और तब से लगातार मंदिर में पूजा अर्चना की जाने लगी. यहां तक कि सभी श्रमिकों के सफल रेस्क्यू के बाद खुद सीएम धामी ने अपने पोस्ट में बाबा बौखनाग को नमन किया और बाबा बौखनाग मंदिर निर्माण कार्य जल्द शुरू किए जाने की बात भी कही.

ग्रामीणों का मानना है कि बौखनाग देवता के आशीर्वाद के कारण ही ये रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हो पाया. स्थानीय लोगों ने 28 नवंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने से तीन दिन पहले ही कह दिया था कि बौखनाग देवता ने रेस्क्यू पूरा होने के संकेत दे दिए है और तीनों दिनों के अंदर रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो जाएगा, जो सही साबित हुआ.
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वहीं, तमाम एजेंसियों के एक्सपर्ट्स को भी आस्था का मार्ग लेते हुए देखा गया. रेस्क्यू के बाद इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने इस पूरे ऑपरेशन को एक चमत्कार बताया. उन्होंने कहा कि, 'यदि आपने ध्यान नहीं दिया है, तो हमने अभी एक चमत्कार देखा है.'

कौन है बौखनाग देवता? जिस इलाके में सुरंग है, बौखनाग देवता को उस क्षेत्र का खेत्रपाल देवता भी माना जाता है. खेत्रपाल का मतलब क्षेत्र विशेष की रक्षा करने वाला कहा जाता है. खेत्रपाल शब्द क्षेत्रपाल शब्द का स्थानीय गढ़वाली भाषा में रूपांतरण है. उत्तरकाशी के राडीटॉप इलाके में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बाबा बौखनाग देवता का मंदिर है. मान्‍यता है कि इस मंदिर तक नंगे पैर आकर दर्शन किए जानें तो हर मनोकामना पूरी होती है. पहाड़ों पर स्थित इस मंदिर में हर साल मेला लगता है. स्थानीय लोगों में बाबा बौखनाग की काफी मान्यता है. माना जाता है कि इस पूरे क्षेत्र की रक्षा बाबा बौखनाग ही करते है. ग्रामीणों का मानना है कि बाबा बौखनाग की उत्पत्ति नाग के रूप में हुई थी.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण टिहरी जिले में सेम मुखेम से आए थे. इसी कारण यहां हर साल सेम मुखेम और बाबा बौखनाग का मेला लगता है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि बाबा बौखनाग मंदिर के ठीक नीचे सिलक्यारा में ये 4.5 किमी लंबी टनल बनाई जा रही थी. ग्रामीणों के मुताबिक, सुरंग बाबा बौखनाग की पूंछ के नीचे है, जो सही संकेत नहीं है, इसलिए टनल में ये हादसा हुआ.

NOTE: ये जानकारी स्थानीय मान्यताओं और जानकारी के आधार पर है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता.

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