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ऐसे मजबूत बनेंगें गांव! सरकारी कार्यालयों में नदारद 'जिम्मेदार', भवन बने खंडहर - Government Office at Nyaya Panchayat level

साल्ड न्याय पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने आज पंचायत स्तर के कई कार्यालयों का निरीक्षण किया. जहां उन्हें कोई भी कर्मचारी या अधिकारी नहीं मिला. इतना ही नहीं इनमें से कई कार्यालयों के भवन तो खंडर तक हो चुके हैं.

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ऐसे मजबूत बनेंगें गांव!

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Published : Aug 22, 2020, 9:04 PM IST

उत्तरकाशी: देश की सबसे छोटी और मजबूत नींव मानी जाने वाली ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के लिए न्याय पंचायत स्तर पर कई विकास, स्वास्थ्य और राजस्व विभाग के कार्यालय खोले गए हैं. मगर दुर्भाग्य ये है कि आज कई कार्यालयों के भवन खंडर में तब्दील हो गए हैं. इन कार्यालयों में न ही कोई कर्मचारी मिलता है और न ही कोई अधिकारी. ऐसी ही तस्वीर जिला मुख्यालय से महज 6 किमी. की दूरी पर स्थित न्याय पंचायत साल्ड से सामने आई है. जहां क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने जब न्याय पंचायत स्तर पर बने सरकारी कार्यालयों का निरीक्षण किया तो कोई भी कर्मचारी और अधिकारी नहीं मिला.

ऐसे मजबूत बनेंगें गांव!.

शनिवार को साल्ड न्याय पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र पंचायत सदस्य साल्ड, निसमोर सहित ग्राम प्रधान साल्ड, बसूंगा सहित ग्राम प्रधान ज्ञानजा, निसमोर ने न्याय पंचायत स्तर पर बने सरकारी कार्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे. इन कार्यालयों में पशुपालन विभाग, पटवारी चौकी, आयुर्वेदिक अस्पताल, कृषि विपणन केंद्र सहित अन्य शामिल थे. निरीक्षण में कार्यालयों में कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं था.

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जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह स्थिति आज ही बल्कि हमेशा की है. उन्होंने कहा इस सम्बंध में सम्बंधित विभागों को कई बार अवगत करवाया गया है मगर, इस मामले में अभी तक कुछ भी कार्रवाई नहीं हुई है.

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न्याय पंचायत साल्ड के जन प्रतिनिधियों का कहना है कि जब यह हाल जनपद मुख्यालय से 6 किमी दूर पर स्थित न्याय पंचायत का है तो दूरस्थ क्षेत्रों में क्या हाल होगा. आज एक कागज के लिए ग्रामीणों को जिला मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है. कोई बीमार हो जाए, तो अस्पताल में डॉक्टर और कर्मचारी नहीं है. पटवारी चौकी और कृषि विपणन केंद्र के भवन तो भूतिया हो गये हैं. कभी कभार ये भवन मवेशियों के रहने के काम आते हैं.

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जन प्रतिनिधियों ने कहा कि वे इसे लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन देंगे. अगर उसके बाद भी कार्रवाई नहीं होगी तो उन्हें आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

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