पुरोला:कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है मोरी के हरकीदून घाटी के लोगों ने. जो बिना किसी सरकारी मदद के विषम परिस्थितियों में, सुदूर कन्दराओं की खूबसूरती को देश-दुनिया के सामने ला रहे हैं. यही नहीं इन लोगों नें अपने लिए रोजगार के नए द्वार भी खोल दिये हैं. पेश है एक स्पेशल रिपोर्ट.
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आज हालात ये हैं कि, दौर बदलने के साथ ही इन लोगों ने अपना हुनर भी बदल दिया है. सदियों से चला आ रहा भेड़ पालन और कृषि का पुस्तैनी व्यवसाय छोड़ इन लोगों नें इको टूरिजम को अपने जीने का जरिया बना लिया है. जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी जनपद के 22 गांवों के लोगों की, जिन्होंने आज अपने जीने का जरिया ही बदल दिया है. यहां के लोग देश-दुनिया के घुमंतु, साहसिक पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को अपने घरों में ठहराकर अच्छी-खासी आमदनी अर्जित कर रहे हैं. साथ ही खुद के द्वारा विकसित ट्रैकिंग रुटों पर लोगों को ट्रेकिंग करवाने का काम भी कर रहे हैं.