उत्तरकाशी: हर साल चैत्र मास की त्रयोदशी को पंचकोसी वारुणी यात्रा के तहत वरुणावत पर्वत की पैदल परिक्रमा की जाती है. इसी कड़ी में आज ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के जत्थे वारुणी यात्रा पर निकलने शुरू हो गए. करीब 15 किमी लंबी इस पदयात्रा के पथ पर बड़ेथी संगम स्थित वरुणेश्वर, बसूंगा में अखंडेश्वर, साल्ड में जगरनाथ और अष्टभुजा दुर्गा, ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर और व्यास कुंड, वरुणावत शीर्ष पर शिखरेश्वर तथा विमलेश्वर महादेव, संग्राली में कंडार देवता, पाटा में नर्वदेश्वर मंदिर में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना का सिलसिला शाम तक चलता रहा.
वरुणावत से उतरकर श्रद्धालुओं ने गंगोरी में असी गंगा और भागीरथी के संगम पर स्नान के बाद नगर के विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना एवं जलाभिषेक के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर यात्रा संपन्न की. वारुणी यात्रा के धार्मिक महत्व और इसमें उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए जल संस्थान ने वरुणावत शीर्ष पर महीडांडा के निकट टैंकर से पेयजल की व्यवस्था की.
जिला चिकित्सालय की ओर से पैदल यात्रा पथ के दोनों छोर पर एंबुलेंस तैनात कर यात्रियों को स्वास्थ्य सेवाएं दी गईं. आईटीबीपी की 35वीं वाहनी महिडाडा के जवानों ने भी शिखरेश्वर महादेव मंदिर के पास व्यवस्थाएं संभालीं. बड़ेथी और गंगोरी संगम पर पुलिस की व्यवस्था भी चाक चौबंद रही. यात्रा पथ पर पड़ने वाले गांवों में तो ग्रामीणों ने पदयात्रियों की आवभगत में कोई कमी नहीं छोड़ी.
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