देवराना 'डांडा की जातर' में आस्था और संस्कृति का समागम उत्तरकाशीः रवांई घाटी के प्रसिद्ध देवराना डांडा की जातर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. देवराना पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर मन्नतें मांगी. जातर में आस्था के साथ रवांई की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिली.
देवराना मेले में उमड़ी भीड़ बता दें कि नौगांव ब्लॉक में करीब ढाई हजार मीटर की ऊंचाई पर घने देवदार के जंगलों के बीच स्थित देवराना में हर साल असाढ़ महीने में 65 गांव के आराध्य रुद्रेश्वर महाराज का ऐतिहासिक मेला लगता है. जिसे स्थानीय भाषा में लोग 'डांडा की जातर' कहते हैं. यह रवांई घाटी का सबसे प्रसिद्ध मेला है. जिसमें रवांई, जौनपुर और जौनसार के हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं.
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इस बार भी तड़के चार बजे पुजारी संकित थपलियाल ने मंदिर के ऊपर बने लकड़ी के शेर पर चढ़ कर रुद्रेश्वर देवता की मूर्ती को दूध से स्नान करवा कर श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए. काफी संख्या में मेले का आनंद लेने पहुंची महिलाओं ने देव डोली के साथ लोक नृत्य किया. मेले के दौरान गढ़ गांव के हुड़की वादकों ने रुद्रेश्वर की गाथा सुनाई. जिन्हें पुजारी ने उपहार के रूप में अंग वस्त्र भेंट किए.
वहीं, रवांई घाटी की पल्ली मुंगरशंति पट्टी में शुरू हुई मेलों की श्रृंखला के दौरान रुद्रेश्वर महाराज की डोली एक महीने तक गांव-गांव के भ्रमण पर रहेगी. जहां डोली जाएगी, उस गांव में मेले का आयोजन होगा. मेलों की श्रृंखला के दौरान ग्रामीणों को रुद्रेश्वर महाराज, धर्म राज युधिष्ठर, बाबा बौख नाग, महासू महाराज और माता नाटेश्वरी की पांच मूर्तियों के एक साथ दर्शन होंगे.