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देख लीजिए विधायक जी, अपने ही गांव की सड़क ही नहीं बनवा पाए, ग्रामीण हो रहे परेशान

उत्तराखंड में आज भी पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों को बुनियादी सुविधा, सड़क बिजली और पानी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश के कई गांव में आज तक सड़क नहीं पहुंची है और जहां पहुंची भी है तो, भूस्खलन होने से मार्ग अगर क्षतिग्रस्त हो जाए तो फिर उनका सुध लेने वाला कोई नहीं है. इन दिनों मोरी तहसील में भूस्खलन होने की वजह से कई गांवों को जोड़ने वाला मार्ग क्षतिग्रस्त हो चुका है. जिसकी वजह से ग्रामीण जान हथेली पर लेकर आने जाने को मजबूर हैं.

Liwari and Fitadi village Road damaged
जान हथेली पर लेकर ग्रामीण चलने को मजबूर

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Published : Sep 1, 2022, 3:26 PM IST

Updated : Sep 1, 2022, 3:43 PM IST

उत्तरकाशी: टोंस घाटी (Tons Valley) के सीमांत मोरी तहसील के अलग अलग गांवों में हो रहे भूस्खलन से ग्रामीणों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. आलम ये है कि ग्रामीण जान हथेली पर रखकर पैदल चलने को मजबूर हैं. सड़क के पड़ाव जखोल से धारा गांव को जोड़ने वाला पैदल मार्ग (Walking path connecting Jakhol to Dhara village) में जगह जगह मलबा आने और भूस्खलन होने से डेंजर जोन बन गया है.

ग्रामीण पहाड़ी साइड को पकड़ कर अपने गांव धारा पहुंच रहे हैं. सबसे बड़ी दिक्कत स्कूली छात्र-छात्राओं को है, जो रोजाना गांव से स्कूल जाने के लिए इन डेंजर रास्तों से सफर तय करते हैं. वही, जखोल से लिवाड़ी और फिताड़ी गांव (Liwari and Fitadi village) जाने वाले रास्ते पर भी बड़े बोल्डर गिरने से मार्ग प्रभावित (Road affected by boulder fall) हो गया है.

जान हथेली पर लेकर ग्रामीण चलने को मजबूर

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बता दें कि यहां पुरोला से भाजपा विधायक दुर्गेशवर लाल का पैतृक गांव लिवाड़ी (MLA Durgeshwar Lal native village Liwadi) भी है. जिसकी तस्वीर भी इन दिनों काफी खतरनाक बनी हुई है. ग्रामीणों ने कहा लगातार बारिश की वजह से उनके आने जाने का रास्ता क्षतिग्रस्त हो रखा है. कई बार शासन प्रशासन को पत्र भी लिखा है, लेकिन इन रास्तों का सुध लेने को कोई तैयार नहीं है. विधायक दुर्गेश्वर लाल के गांव लिवाड़ी और उनके गांव के पास में ही फिताड़ी का मार्ग क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीण परेशान हैं.

ग्रामीणों ने कहा सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती और स्कूली छात्राओं को होती है. कई बार गर्भवती रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं. क्योंकि रास्ता क्षतिग्रस्त होने के कारण वह समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाती है. यदि सरकार और प्रशासन शीघ्र ही इस रास्ते को नहीं बनाती है, तो हम आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे.

Last Updated : Sep 1, 2022, 3:43 PM IST

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