उत्तरकाशी: भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए उत्तराखंड के लाल राइफल मैन शैलेंद्र कठैत का बुधवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान सभी ने नम आखों जवान शैलेंद्र कठैत को विदाई थी. शैलेंद्र कठैत ने घर का इकलौता चिराग था.
बुधवार को ही राइफलमैन शैलेंद्र का पार्थिव शरीर उनके पैतृत गांव कुमराड़ा पहुंचा था. अपने लाल को तिरंगे में लिपटा देख सभी की आंखे नम हो गई थी. शैलेंद्र कठैत के सम्मान में चिन्यालीसौड़ और पीपलमंडी के व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखी थी. शैलेंद्र कठैत के निधन पर पूरे क्षेत्र में शोक की लहर थी.
सोमवार को हुआ था हादसा:बता दें कि बीते सोमवार को भारत-चीन सीमा की नीति मलारी घाटी में ग्यालडुंग पोस्ट पर तैनात प्रखंड के कुमराड़ा गांव निवासी राइफलमैन शैलेंद्र कठैत का पेट्रोलिंग के वक्त अचानक पैर फिसल गया था, जिससे वो सीधे खाई में जा गिरे. मौके पर मौजूद जवानों ने शैलेंद्र को खाई से निकाला और प्राथमिक उपचार दिया, लेकिन इसी बीच शैलेंद्र ने दम तोड़ दिया. सोमवार को ही सेना के अधिकारियों ने शैलेंद्र कठैत के निधन की खबर परिजनों को दे दी थी.
बुधवार सुबह शैलेंद्र का पार्थिव शरीर उनके पैतृव गांव पहुंचा, जहां सभी ने शैलेंद्र को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद शैलेंद्र को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. सेना की गढ़वाल स्काउट यूनिट के तीन अधिकारियों सहित 38 जवानों ने शैलेंद्र सिंह कठैत को अंतिम सलामी दी. बलिदानी शैलेंद्र को मुखाग्नि उनके भतीजे सचिन कठैत ने दी. शैलेंद्र के निधन पर पूरा परिवार सदम में है.