उत्तरकाशी: बगोरी गांव के जाड़ समुदाय के लोगों ने भारत चीन अंतराष्ट्रीय सीमा पर अपने मूल गांव जादूंग में ग्राम देवता लाल देवता की विधिवत पूजा अर्चना की है. जाड़ समुदाय के लोग हर वर्ष जिला प्रशासन की अनुमति के बाद एक दिन अपने ग्राम देवता की पूजा के लिए जादूंग पहुंचते हैं. यहां पर रिंगाली देवी की देव डोली के साथ पांडव नृत्य और रासो तांदी का आयोजन किया जाता है.
नो मैंस लैंड पर जाने की एक दिन की मिली अनुमति, चीन बॉर्डर पर जाड़ समुदाय के लोगों ने की ग्राम देवता की पूजा
जादूंग गांव पहुंचकर जाड़ समुदाय के लोगों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में ग्राम देवता लाल देवता की पूजा-अर्चना की. इस बीच जवानों ने ग्रामीणों का शानदार तरीके से स्वागत किया.
सिर्फ एक दिन जादूंग जाने की मिलती है अनुमति: वर्ष 1962 में भारत चीन युद्ध के समय जादूंग और नेलांग गांव के ग्रामीणों को बगोरी में विस्थापित किया गया है. उसके बाद से हर वर्ष यह ग्रामीण जून में अपने ग्राम देवता लाल देवता की पूजा के लिए जाते हैं. इस साल भी ग्रामीण ढोल दमाऊं और पांडव पश्वों के साथ जादूंग गांव पहुंचे. इससे पहले नेलांग में रिंगाली देवी की देवडोली की अगुवाई में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद बगोरी गांव के ग्रामीण जादूंग गांव पहुंचते हैं, जहां पर पहले लाल देवता के मंदिर और थात में विशेष पूजा की जाती है.
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उसके बाद रिंगाली देवी और पांडव पश्वा भी वहां पांडव नृत्य कर विशेष पूजा करते हैं. इस दौरान जाड़ समुदाय के ग्रामीण अपनी पारंपरिक वेशभूषा में लाल देवता की पूजा करने पहुंचते हैं. इस मौके पर जादूंग में तैनात आईटीबीपी के जवान ग्रामीणों का गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हैं. हर वर्ष ग्रामीणों को लाल देवता की पूजा के लिए जिला प्रशासन की ओर से एक दिन की अनुमति प्रदान की जाती है.
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