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सर्दियों से पहले मवेशियों के लिए चारापत्ती जमा कर रहे ग्रामीण, संरक्षित करने की ये कला है बेजोड़ - villagers do hoarding of fodder ahead of winter

भटवाड़ी विकासखंड सहित पुरोला मोरी और बड़कोट के करीब 100 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां पर बर्फबारी के दौरान लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. वहीं ग्रामीण पहले से अपने मवेशियों के लिए 6 माह की घास और चारापत्ती एकत्रित कर सरंक्षित करते हैं.

Uttarkashi
उत्तरकाशी

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Published : Oct 4, 2020, 12:02 PM IST

Updated : Oct 4, 2020, 1:21 PM IST

उत्तरकाशी: पहाड़ के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अक्टूबर के अंतिम तक सर्दी शुरू हो जाती है. साथ ही बुग्यालों सहित ऊंचाई वाले गांवों में बर्फबारी शुरू हो जाने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है. वहीं, दिसंबर से लेकर फरवरी माह तक पहाड़ों के कई गांव बर्फ से ढक जाते हैं. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन दिनों पहाड़ में एक विशेष जीवनशैली देखने को मिलती है. इस दौरान ग्रामीण पहले से अपने मवेशियों के लिए 6 माह का घास और चारापत्ती एकत्रित कर सरंक्षित करते हैं.

सर्दियों से पहले मवेशियों के लिए चारापत्ती जमा कर रहे ग्रामीण.

उत्तरकाशी जनपद की बात करें, तो यहां पर भटवाड़ी विकासखंड सहित पुरोला मोरी और बड़कोट के करीब 100 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां पर बर्फबारी के दौरान लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में ग्रामीण सितंबर माह से ही व्यवस्थाओं में जुट जाते हैं. जिससे भारी बर्फबारी के दौरान ग्रामीणों को जिला मुख्यालय व तहसील मुख्यालय से संपर्क कटने पर किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े. साथ ही मवेशियों के घास और चारापत्ती के लिए भटकना न पड़े, इसके लिए वे पहले से ही इंतजाम करके रखते हैं.

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ग्रामीणों द्वारा बुग्यालों और जंगलों से घास लाकर उसे करीब 15 से 20 दिन अपने आंगन में सुखाकर उन्हें विशेष शैली से बांधा जाता है. साथ ही उसके बाद घास को पुराने भवनों के कमरों और पेड़ों पर टांगकर सरंक्षित किया जाता है. जिससे कि 6 माह तक मवेशियों को बर्फबारी के दौरान इस घास का उपयोग किया जाता है.

Last Updated : Oct 4, 2020, 1:21 PM IST

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