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पहाड़ों में वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सेवाएं, डंडी-कंडी के सहारे जीवन

रविवार को अब्बला देवी (65 वर्ष) को पैरालाइज की शिकायत हुई. जिसके बाद गांव वालों ने डंडी-कंडी से उन्हें सड़क तक पहुंचाया. आज भी स्थिति यह है कि गांव में किसी गर्भवती और बीमार को सड़क तक पहुंचाना टेढ़ी खीर है.

Health services on ventilators
पहाड़ों में वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सेवाएं

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Published : Sep 6, 2020, 3:14 PM IST

Updated : Sep 6, 2020, 3:36 PM IST

उत्तरकाशी: पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए एयर एंबुलेंस का खाका प्रदेश सरकार ने जमीन पर उतारा है. मगर, शायद सरकार यह भूल गई कि जब गांव का बीमार व्यक्ति पहले सड़क तक समय पर सुरक्षित पहुंचेगा, उसके बाद भी ही एयर एंबुलेंस की सेवा ले पायेगा. उसके बाद भी सरकार मात्र दिखावे के लिए बड़ी-बड़ी मेडिकल सेवाएं शुरू कर रही है. लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. पहाड़ी क्षेत्रों में आज भी स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. यहां के मरीजों का जीवन डंडी और कंडी पर ही झूल रहा है.

सीमांत जनपद में स्वास्थ्य सेवाएं सड़कों के आभाव में वेंटिलेटर पर जा चुकी हैं. ग्रामीण डंडी-कंडी के सहारे मरीज को कई किमी दूर तक कंधों पर लादकर ले जाने को मजबूर हैं. उसके बाद भी मरीज के बचने की कोई गारंटी नहीं है.

पहाड़ों में वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सेवाएं.

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ऐसी ही तस्वीर चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के नई खालसी (माड़) गांव से सामने आई है. जहां ग्रामीणों ने बीमार बुजुर्ग महिला को 7 किमी डंडी-कंडी के सहारे सड़क तक पहुंचाया. उसके बाद महिला को हायर सेंटर रेफर किया गया.

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नई खालसी (माड़) की ग्राम प्रधान सरोजनी कंडियाल कहती हैं कि गांव के लिए सड़क स्वीकृत भी है, मगर उस पर भूमि निरीक्षण छपान के बाद किसी प्रकार का काम हो पाएगा. उन्होंने बताया रविवार को अब्बला देवी (65 वर्ष) को पैरालाइसिस की शिकायत हुई. जिसके बाद गांव वालों ने डंडी-कंडी से उन्हें सड़क तक पहुंचाया. आज भी स्थिति यह है कि गांव में किसी गर्भवती और बीमार को सड़क तक पहुंचाना हो, तो मन में डर सताता रहता है.

Last Updated : Sep 6, 2020, 3:36 PM IST

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