उत्तरकाशीः हर्षिल घाटी को खूबसूरत घाटी, राजमा और सेब उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहां के सेबों की गुणवत्ता और मिठास की देश की मंडियों में अलग ही स्थान है. साल 2012-13 की आपदा के बाद जहां हर्षिल घाटी के सेब उत्पादन में गिरावट देखने को मिली थी तो वहीं, इस साल हर्षिल घाटी में सेब के अच्छे उत्पादन से काश्तकारों के चेहरे खिले हुए हैं. उद्यान विभाग के सर्वे की मानें तो इस साल हर्षिल घाटी में 4000 मीट्रिक टन सेब उत्पादन की उम्मीद है. हालांकि, इस साल कम बारिश और पतझड़ के कारण कई काश्तकारों को नुकसान का डर सता रहा है. जिसके लिए काश्तकारों ने सेब के समर्थन मूल्य को पूर्व सरकार की भांति 30 रुपये प्रति किलो करने की मांग की है. इस बार सरकार ने 9 रुपये प्रति किलो सी ग्रेड के सेब का समर्थन मूल्य रखा है.
उत्तरकाशी जनपद की बात करें तो यहां पर करीब 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. जिसमें से हर्षिल घाटी में करीब 4 हजार से 5 हजार मीट्रिक टन सेब की पैदावार होती है. हर्षिल घाटी के सेब का अपने बड़े साइज और मिठास के लिए देश की मंडियों में अपना एक अलग स्थान है. इस साल अच्छी बर्फबारी के साथ ही घाटी के सेब काश्तकारों को उत्पादन की अच्छी उम्मीद थी. जो कि अब सेब उत्पादन को देखते हुए सार्थक नजर आ रहा है. कोरोनकाल के बीच अभी सीमित मात्रा में सेब खरीददार हर्षिल घाटी पहुंचने लगे हैं तो वहीं, काश्तकारों को उम्मीद है कि इस कोरोना काल में अगर शासन और प्रशासन मदद करता है तो अच्छी संख्या में सेब खरीददार मंडियों से हर्षिल घाटी पहुंचेंगे.