उत्तरकाशी:हर्षिल के सेब को देश में पहचान दिलाने के लिए उत्तराखंड सरकार पूरी मशक्कत कर रही है. हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने विधानसभा में हर्षिल के सेब बांटे, वहीं दूसरी तरफ अब देहरादून में सेब महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. हालांकि अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हर्षिल घाटी में बना एकमात्र कोल्ड स्टोर का संचालन भी ठप पड़ा हुआ है.
उत्तरकाशी में सेब तोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है. लेकिन सेब रखने के लिए कोल्ड स्टोर नहीं है. हर्षिल का एक मात्र कोल्ड स्टोर ठप पड़ा हुआ है. घाटी के सेब काश्तकारों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर कोल्ड स्टोर शुरू नहीं होता है तो सेब महोत्सव का बहिष्कार किया जाएगा. काश्तकारों ने चेतावनी देते हुए कहा कि महोत्सव में हर्षिल के सेब नहीं भेजे जाएंगे.
हर्षिल के काश्तकारों ने दी सेब महोत्सव के बहिष्कार की धमकी हर्षिल घाटी के सेब काश्तकारों का कहना है कि 2020 के बाद से घाटी के सेब काश्तकारों के लिए 8 करोड़ की लागत से बनी कोल्ड स्टोर का संचालन बंद पड़ा हुआ है. काश्तकारों का कहना है कि अब हर्षिल घाटी में सेब तोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है. लेकिन कोल्ड स्टोर बंद होने के कारण अब काश्तकारों के पास सेब रखने के लिए स्थान नहीं है. काश्तकारों को सेब खराब होने का डर सता रहा है. हर्षिल घाटी के सेब काश्तकारों का कहना है कि सरकार फाइलों में ही हर्षिल के सेब की पहचान दिलाने की बात कर रही है. वहीं दूसरी और धरातल पर कोई सुविधा नहीं हैं.
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हर्षिल के सेब काश्तकारों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कोल्ड स्टोर का संचालन शुरू नहीं होता है तो आगामी सेब महोत्सव में भी हर्षिल के सेब नहीं भेजे जाएंगे. बता दें कि उत्तरकाशी में आराकोट, हर्षिल और नौगांव में करीब 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. हर्षिल घाटी में करीब 5 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. वहीं, हर्षिल घाटी का सेब अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए देश की मंडियों में अपना विशिष्ट पहचान रखता है.